राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को सियासत का जादूगर माना जाता है। उनके सामने जब भी मुश्किलें आती हैं वह अपने राजनीतिक कौशल के बूते इन मुश्किलों पर जीत आसानी से कर लेते हैं। इस बार उनके सियासत पर संकट उनके डिप्टी सीएम सचिन पायलट लेकर आए हैं और इस बार अभी तक उनका जादू नहीं चला है और वह सरकार बचाने की जुगत में लगे हुए हैं।
नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पर छाए सियासी बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि राज्य के सीएम अशोक गहलोत दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार पर संकट के बादल छंट गए हैं और उनके साथ 109 विधायकों का साथ है। लेकिन कांग्रेस की सरकार मुश्किल में है। तभी कांग्रेस ने सभी विधायकों को रिसार्ट में ले जाने का फैसला किया। ताकि बाद में विधायक न टूट सकें। कांग्रेस को लग रहा है कि राज्यपाल राज्य सरकार को सदन के भीतर बहुमत साबित करने को कह सकते हैं। लिहाजा कांग्रेस विधायकों को सुरक्षित रखना चाहती है।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को सियासत का जादूगर माना जाता है। उनके सामने जब भी मुश्किलें आती हैं वह अपने राजनीतिक कौशल के बूते इन मुश्किलों पर जीत आसानी से कर लेते हैं। इस बार उनके सियासत पर संकट उनके डिप्टी सीएम सचिन पायलट लेकर आए हैं और इस बार अभी तक उनका जादू नहीं चला है और वह सरकार बचाने की जुगत में लगे हुए हैं।
हालांकि अभी भी अशोक गहलोत गुट का दावा है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने वाले विधायक 102 से 105 थे जबकि सरकार को बचाने के लिए सरकार को 101 का आंकड़डा चाहिए। लेकिन सचिन पायलट गुट का दावा है जो विधायक बैठक में शामिल हुए थे वह सदन में बहुमत पेश करने के वक्त सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। लिहाजा गहलोत डेरे हुए हैं।
असल में राज्य में पिछले कई दिनों से सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चली आ रही लड़ाई सबके बीच आ गई थी और उसके बाद सचिन पालयट के बगावती तेवरों के कारण अशोक गहलोत सरकार पर जबर्दस्त राजनीतिक संकट आ गया था। पायलट खेमे का दावा है कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है। इसके बाद सरकार बचाने को देर रात आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को जयपुर भेजा। पार्टी आलाकमान के आदेश के बाद इन नेताओं ने विधायकों से बातचीत की।
कांग्रेस में जारी हैं पायलट को मनाने की कोशिशें
राज्य में कांग्रेस के बागी सचिन पायलट को मनाने की कोशिशें की जा रही हैं और इसके लिए बताया जा रहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पायलट से बातचीत की। हालांकि ये भी चर्चा है कि पायलट ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने अपनी कुछ शर्तें रखी हैं। लेकिन अशोक गहलोत को इन शर्तों पर राजी करना मुश्किल है। क्योंकि अभी तक वह वह पालयट को राज्य की सियासत से बाहर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं और अगर पायलट की बातें मानी गई तो यह उनकी हार होगी।