IIT कानपुर के साइंटिस्ट्स का कमाल: लिवर फाइब्रोसिस-फैटी लीवर होगा ठीक, जानिए कैसे?

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Dec 11, 2024, 9:56 PM IST

IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने लिवर फाइब्रोसिस, फैटी लिवर और रीढ़ की हड्डी की चोटों के इलाज के लिए एक नई दवा और तकनीक विकसित की है, जो लाखों मरीजों की लाइफ बदल सकती है। 

नई दिल्ली। IIT कानपुर ने भारतीय चिकित्सा जगत में एक नई क्रांति की शुरुआत कर दी है। लिवर फाइब्रोसिस, फैटी लिवर और रीढ़ की हड्डी की चोटों के इलाज के लिए संस्थान के साइंटिस्ट्स ने ऐसी तकनीक और दवाइयां विकसित की हैं, जो आने वाले समय में लाखों मरीजों की लाइफ बदल सकती हैं। आइए, जानते हैं इसके बारे में।

लिवर फाइब्रोसिस क्या है?

लिवर फाइब्रोसिस एक गंभीर स्थिति है, जिसमें लिवर के स्वस्थ ऊतक नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह स्कार टिशू ले लेते हैं। इससे लिवर सही तरीके से काम नहीं कर पाता। फैटी लिवर एक ऐसी समस्या है, जो अक्सर बदलते लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण होती है। समय पर इलाज न हो तो यह समस्या फाइब्रोसिस और बाद में सिरोसिस में बदल सकती है, जो जानलेवा हो सकता है।

IIT कानपुर की दवा कैसे काम करेगी?

IIT कानपुर के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग ने प्रोफेसर अशोक कुमार के नेतृत्व में एक ऐसी दवा विकसित की है, जो लिवर के स्वस्थ ऊतकों को रीजनरेट करने में मदद करेगी। यह दवा रीजेनरेटिव मेडिसिन की कैटेगरी में आती है। लिवर मानव शरीर का एकमात्र ऐसा अंग है जो खुद को ठीक कर सकता है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा संभव नहीं होता। यह दवा लिवर को दोबारा स्वस्थ बनाने में मदद करेगी।

सिर्फ लिवर पर होगा असर

दवा को टारगेटेड थेरेपी के तहत विकसित किया गया है। इसका असर केवल लिवर पर होगा और शरीर के अन्य हिस्सों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस दवा को क्लीनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है।ये ट्रायल महाराष्ट्र के वर्धा स्थित दत्ता मेघे अस्पताल में शुरू होंगे। दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) के साथ भी चर्चा जारी है। 

रीढ़ की हड्डी की चोटों का भी इलाज

स्पाइनल इंजरी बेहद गंभीर होती हैं। इनमें से कई चोटें मरीजों में लकवे की वजह बनती है। कई मामलो में मरीज का पूरी तरह ठीक हो पाना संभव नहीं होता है। प्रोफेसर अशोक कुमार और उनकी टीम ने एक विशेष बायोमटेरियल डेवलप किया है। यह मैटेरियल चोटिल ऊतकों को दोबारा डेवलप होने में मदद करेगा। यह तकनीक टूटी हुई रीढ़ की हड्डी को जोड़ने और उसकी कैपेसिटी को रिस्टोर करने में भी कारगर साबित हुई है। जानवरों पर किए गए परीक्षण सफल रहें। 

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