श्रीलंका के इस बंदरगाह का कायाकल्प करेगा भारत, कभी व्यस्त रहा-अब ठप हैं कॉमर्शियल एक्टिविटी, क्यों है अहम?

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published May 2, 2024, 1:11 PM IST

श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित कांकेसंथुरई बंदरगाह कभी व्यस्त पोर्ट हुआ करता था। कॉमर्शियल आपरेशन के लिए जाना जाता था। यह वही बंदरगाह है, जिसके जरिए जाफना प्रायद्वीप का श्रीलंका के अन्य हिस्सों से संपर्क हुआ करता था।

नयी दिल्ली। श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित कांकेसंथुरई बंदरगाह कभी व्यस्त पोर्ट हुआ करता था। कॉमर्शियल आपरेशन के लिए जाना जाता था। यह वही बंदरगाह है, जिसके जरिए जाफना प्रायद्वीप का श्रीलंका के अन्य हिस्सों से संपर्क हुआ करता था। पर सिविल वार के बाद यह तहस नहस हो गया। व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गईं। अब भारत ने इस बंदरगाह को संवारने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। इसमें लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

पुडुेचरी और ​तमिलनाडु के बंदरगाहों से भी आवागमन की सुविधा

16 एकड़ में फैले केकेएस यानी कांकेसंथुरई बंदरगाह पुडुचेरी के करईकल पोर्ट से महज 104 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पोर्ट पर आवागमन की सुविधा न सिर्फ पुडुचेरी से है, बल्कि तमिलनाडु के नागपट्टनम से भी वहां तक जाया जा सकता है। यहां से केकेएस पोर्ट की दूरी 111 किलोमीटर है। जिसे तय करने में करीबन तीन घंटे का समय लगता है। 

श्रीलंका संसद ने दी मंजूरी

बंदरगाह काफी समय से ठप पड़ा है। अब इसके मरम्मत की जरूरत पड़ रही थी। इसको देखते हुए भारत ने पोर्ट के पुनर्विकास की पहल की। इसमें आने वाले खर्चे को वहन करने की इच्छा जताई। इस मुद्दे पर श्रीलंकाई कैबिनेट में चर्चा हुई और संसद ने भारत सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। श्रीलंका कैबिनेट के बयान के अनुसार, परियोजना के महत्व को देखते हुए भारत सरकार प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत वहन करने को तैयार है। एक आंकलन के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में करीबन 513 रुपये खर्च होंगे।

लिट्टे उग्रवादियों के हमले में हुआ था क्षतिग्रस्त

हालांकि इस प्रोजेक्ट को श्रीलंकाई कैबिनेट ने साल 2017 में ही मंजूरी दे दी थी। पर लागत से जुड़ी कुछ चीजों को लेकर शुरूआत में देरी हुई। साल 2019 में परियोजना प्रबंधन सलाहकार सेवाओं के पेशकश को भी मंजूरी दी दी गई थी। अब भारत के पहल से श्रीलंका का ठप पोर्ट जल्द ही गुलजार होगा और कॉमर्शियल गतिविधियां शुरू हो सकेंगी। एक जमाने में यह श्रीलंका के व्यस्त पोर्ट में गिना जाता था। पर लिट्टे उग्रवादियों के हमले में यह पोर्ट क्षतिग्रस्त हो गया था। 

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