रतन टाटा ने अपनी वसीयत में पालतू कुत्ते टीटो के लिए खास व्यवस्था की है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या भारत में पालतू जानवर के नाम पर संपत्ति छोड़ी जा सकती है? जानें भारतीय कानून क्या कहता है।
Ratan Tata's Pet Dog Tito: भारत के दिग्गज उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। अपने जीवन में उन्होंने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। रतन टाटा अपने पालतू कुत्ते टीटो से बेहद प्यार करते थे, और इसी कारण उन्होंने अपनी वसीयत में टीटो का भी जिक्र किया। उनके इस कदम ने लोगों के बीच एक दिलचस्प सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत में पालतू जानवरों के नाम पर वसीयत करना संभव है?
रतन टाटा ने अपने पालतू कुत्ते टीटो के लिए की ये व्यवस्था
रतन टाटा ने अपने पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो के देखभाल के लिए विशेष व्यवस्था की। अपनी वसीयत में टीटो के देखभाल की जिम्मेदारी लंबे समय तक उनके कुक रहे राजन शॉ को सौंपी है। रतन टाटा की वसीयत में टीटो के प्रति उनका अटूट प्रेम झलकता है। उन्होंने बिना शर्त अपने पालतू कुत्ते को प्यार देने की बात कही है।
पालतू जानवर के नाम पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर की मंजूरी नहीं
हालांकि, भारत में कानून किसी व्यक्ति को पालतू जानवर के नाम पर सीधे तौर पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं देता है। पालतू जानवर कानूनी रूप से एक संपत्ति माने जाते हैं, और एक संपत्ति, दूसरी संपत्ति की उत्तराधिकारी नहीं बन सकती। ऐसे में किसी व्यक्ति की संपत्ति सीधे पालतू जानवर के नाम पर नहीं छोड़ी जा सकती है।
पेट्स के नाम पर ट्रस्ट बनाना संभव नहीं
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में कुछ लोग अपने पालतू जानवरों के लिए ट्रस्ट बनाकर उनकी देखभाल इंश्योर कर सकते हैं। लेकिन भारतीय कानून के अनुसार, पेट्स को ट्रस्ट में बेनिफिशियरी नहीं बनाया जा सकता है। ट्रस्ट के नियमों के अनुसार, बेनिफिशियरी को ट्रस्टी के खिलाफ अपना हक जताने का अधिकार होना चाहिए, जो कि पालतू जानवरों के लिए संभव नहीं है।
क्या कहते हैं कानून के जानकार?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय कानून के तहत पालतू जानवरों को उत्तराधिकारी या बेनिफिशियरी नहीं बनाया जा सकता है। सायरिल अमरचंद मंगलदास वेबसाइट के अनुसार, पालतू जानवर किसी प्रकार की कानूनी संपत्ति पर अधिकार नहीं रख सकते, क्योंकि वे कोर्ट में अपने अधिकारों को लागू करवाने में सक्षम नहीं होते हैं।