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दिल्ली में प्रदूषण का लेवल बहुत अधिक बढ़ चुका है। 18 नवंबर को AQI 494 था, जबकि 19 को यह 500 से ज्यादा था, जो "सीवियर+" केटेगरी में आता है।
पॉल्यूटेड एयर में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10) बहुत ज्यादा खतरनाक होते हैं, जो फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि पूरी बॉडी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रदूषित हवा में मौजूद जहरीले कण दिल की धमनियों को संकुचित कर सकते हैं, जिससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है।
इससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने पर हार्ट अटैक भी हो सकता है।
प्रदूषित हवा का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। अस्थमा, क्रोनिक COPD और अन्य दिक्कतें हो सकती हैं। फेफड़ों की कैपेसिटी कम होने से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
प्रदूषण से किडनी भी प्रभावित होती है। जब ये छोटे पार्टिकल्स शरीर में घुसते हैं, तो यह किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं, जिससे किडनी फेलियर तक हो सकती हैं।
एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाकर हवा को शुद्ध करें।
घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मास्क पहनें, खासकर जब AQI का स्तर अधिक हो।
सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें और पर्सनल गाड़ियों के उपयोग को कम करें।
ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं, क्योंकि यह हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं।
प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों से बचें।