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लोहड़ी का त्योहार सर्दियों के अंत और नई रबी फसल की खुशी मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन कृषि समाज की मेहनत और एकता का उत्सव है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, लोहड़ी 2025 को 13 जनवरी को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है।
इस दिन लोग रात में आग जलाकर फसल अर्पित करते हैं। रेवड़ी, मूंगफली, खील और गुड़ से बनी चीजें अग्नि में चढ़ाई जाती हैं। यह फसल देवताओं तक पहुंचाने का प्रतीक है।
लोहड़ी मुख्यतः पंजाबी समुदाय का त्योहार है। इस दिन भंगड़ा, गिद्दा और पारंपरिक पंजाबी गीतों के साथ खुशियां मनाई जाती हैं।
लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पहले आती है। मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जो नई फसल और दिन का समय बढ़ने का संकेत है।
लोहड़ी के दिन परिवार और दोस्तों के साथ आग के चारों ओर इकट्ठा होकर गीत गाने और मिठाइयां बांटने का रिवाज है। यह त्योहार ऊर्जा, एकता और सकारात्मकता का प्रतीक है।
यह पर्व भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित है। पवित्र अग्नि में फसल का अंश चढ़ाने से सुख-समृद्धि और अच्छी फसल की कामना की जाती है।
लोहड़ी सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आने का प्रतीक है। यह रात साल की सबसे ठंडी मानी जाती है।