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बांग्लादेश के 5 प्रसिद्ध शक्तिपीठ, जाने कितनी जगह होती है दुर्गापूजा?

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बांग्लादेशी सरकार ने अजान व नमाज के दौरान दुर्गा पूजा रोकने को कहा

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंदूओं से अज़ान से 5 मिनट पहले और नमाज़ के दौरान दुर्गा पूजा रोकने का कहा है। विशेष रूप से उनसे इस दौरान घंटे-घड़ियाल बजाने से मना किया गया है। 

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बांग्लादेशी हिंदुओ का मुख्य त्यौहार है नवरात्रि

02 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू होने वाली है, जो बांग्लादेशी हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। आईए जानते हैं कि बांग्ला देश में कितने दुर्गा पूजा पंडाल बनते हैं और यहां कितने शक्तिपीठ हैं।

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इस साल बनेंगे ज्यादा दुर्गा पूजा पंडाल

बांग्लादेश में इस वर्ष 32,666 पूजा पंडाल बनेंगे, जिनमें ढाका साउथ सिटी में 157 और नॉर्थ सिटी कॉरपोरेशन में 88 शामिल हैं। पूजा उत्सव परिषद के अनुसार पिछले वर्ष 33,431 मंडप बने थे।

 

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1. श्रीशैल - महालक्ष्मी

बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
 

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2. करतोयातट- अपर्णा

बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव को वामन कहते हैं।

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3. यशोर- यशोरेश्वरी

बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं।

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4. चट्टल- भवानी

बांग्लादेश में चटगांव के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी। इसे शक्तिभवानी व भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।

 

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5. जयंती- जयंती

बांग्लादेश के सिल्हेट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर जहां माता की बायीं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।

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