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इंटरनेट पर अल्बर्ट आइंस्टीन की एक कोटेशन वायरल है कि अगर मधुमक्खियां गायब हो जाएं तो इंसान 4-5 साल ही जीवित रहेगा। हालांकि, उनके कोट का कोई प्रमाण नहीं है।
वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि मधुमक्खियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसका कारण सीसीडी बीमारी (कोलनी कोलैप्स डिसऑर्डर) और कीटनाशकों का बढ़ता प्रयोग है।
सीसीडी बीमारी में पूरी कॉलोनी खत्म हो जाती है। भारत में नियोनिकोटिनॉइड जैसे कीटनाशक भी मधुमक्खियों की संख्या घटा रहे हैं।
वैरोआ माइट जैसे परजीवी मधुमक्खियों की कॉलोनियों को प्रभावित कर उन्हें कमजोर बनाते हैं, जिससे वे अंततः समाप्त हो जाती हैं।
मधुमक्खियां फसलों के परागण में मदद करती हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा बनी रहती है। इनके बिना, फसलों की पैदावार घट सकती है और इससे इंसानों के जीवन पर बड़ा असर पड़ेगा।
मधुमक्खियों के खत्म होने से धरती का इकोसिस्टम बिगड़ सकता है, क्योंकि ये प्राकृतिक संतुलन में एक अहम भूमिका निभाती हैं।