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13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में हो रहा है दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन।
यह महाकुंभ का पर्व 144 साल में एक बार बार आता है। एक पूरी पीढ़ी के लिए खास मौका।
महाकुंभ से अनुमानित ₹2 लाख करोड़ का व्यापार। उत्तर प्रदेश की जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि का अनुमान।
समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदें जहां-जहां गिरीं, वहां कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज उनमें से एक पवित्र स्थल है।
मान्यताओं के मुताबिक, गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुंभ मेले में शाही स्नान के दौरान नागा साधु आकर्षण का केंद्र बनते हैं। उनकी आध्यात्मिक जीवनशैली सभी को आकर्षित करती है।
2017 में यूनेस्को ने महाकुंभ को "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" के रूप में मान्यता दी। कुंभ मेला अब विश्व धरोहर का हिस्सा है।
850 साल पुराना आयोजन। पहला लिखित प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग के विवरणों में मिलता है।
भारत के साथ-साथ कई विदेशी भक्त भी महाकुंभ में शामिल होते हैं। यह आयोजन विश्व आस्था का प्रतीक बन चुका है।