महाकुंभ 2025: जानिए सबसे बड़े अखाड़े का नाम और इसकी खासियत
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महाकुंभ 2025 का आरंभ
13 जनवरी से शुरूआत। 26 फरवरी को समाप्त होगा।
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अखाड़ा क्या है?
अखाड़े, साधु-संतों के दल हैं जो शस्त्र विद्या और धर्म प्रचार में निपुण होते हैं। इन्हें हिंदू धर्म के मठों के रूप में जाना जाता है।
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अखाड़ों की शुरुआत किसने की?
अखाड़ों की स्थापना आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए की थी। वर्तमान में 13 अखाड़े हैं, जिन्हें शैव, वैष्णव और उदासीन संप्रदाय में बांटा गया है।
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शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े क्या हैं?
शैव अखाड़े: भगवान शिव के अनुयायी (7 अखाड़े)।
वैष्णव अखाड़े: भगवान विष्णु के उपासक (3 अखाड़े)।
उदासीन अखाड़े: 'ॐ' के उपासक (3 अखाड़े)।
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महाकुंभ का सबसे बड़ा अखाड़ा कौन?
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा को महाकुंभ का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। इसकी स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में हुई थी।
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जूना अखाड़े की विशेषता
यह नागा साधुओं के लिए प्रसिद्ध है। इसमें करीब 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर हैं। इस अखाड़े का मुख्यालय वाराणसी में स्थित है।
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जूना अखाड़े की पेशवाई
जूना अखाड़े की पेशवाई किसी शाही जलसे से कम नहीं होती। इसमें स्वर्ण रथ, हाथी, और राजसी वैभव के साथ साधु-संतों का नगरप्रवेश होता है।