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कुंभ मेला न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह आयोजन आध्यात्मिकता, संस्कृति और भारतीय सनातन धर्म की परंपराओं का अभूतपूर्व संगम है।
हर बार कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत एकत्र होते हैं, जिससे यह आयोजन आस्था और आध्यात्मिकता के अद्भुत उत्सव का प्रतीक बन जाता है।
कुंभ मेला धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अहम है। यह श्रद्धालुओं को भगवान से जुड़ने और पापों का प्रायश्चित करने का मौका देता है।
यहां भारत की विविधता, परंपराएं, और सांस्कृतिक धरोहरों को एक साथ अनुभव किया जा सकता है। हर बार यह आयोजन दुनिया के सबसे बड़े मानव समागम के रूप में इतिहास बनाता है।
कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु होते हैं। ये साधु हिमालय और घने जंगलों में तपस्या करते हैं और केवल कुंभ जैसे आयोजनों में सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं।
नागा साधुओं का राख से सजा नग्न शरीर, लंबी जटाएं, और अद्वितीय अनुष्ठान पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए अनोखा अनुभव होता है।
कुंभ मेले का केंद्र त्रिवेणी संगम है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह पवित्र स्नान आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।
2019 में प्रयागराज कुंभ में पहली बार "किन्नर अखाड़ा" का प्रवेश हुआ। यह अखाड़ा महिलाओं और किन्नरों को धार्मिक आयोजनों में समान अधिकार दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
कुंभ मेले का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। ट्रांसपोर्ट, हेल्थ, सिक्योरिटी के अलावा मॉब मैनेजमेंट एक अहम जिम्मेदारी होती है।