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International Women's Day: शादीशुदा महिलाओं के लिए इंडियन लॉ में 5 बडे़ अधिकार दिए गए हैं, जैसे तलाक, संपत्ति, स्त्रीधन और अबॉर्शन। जानें इंडियन लीगल राइट्स के बारे में पूरी डिटेल।
शादी एक गहरा बंधन होता है, लेकिन अगर किसी महिला पर अत्याचार हो रहा है तो उसे कानूनी मदद लेनी चाहिए। शादीशुदा महिलाओं को मिलें कानूनी अधिकारों के बारे में हर महिला को जानना चाहिए।
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13 के अनुसार अगर पति बेवफा, अत्याचारी हो या मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना दे तो महिला तलाक ले सकती है। IPC सेक्शन 125 के तहत पति से मेंटेनेंस मांग सकती है।
Hindu Succession Act, 1956 की धारा 14 और Hindu Marriage Act, 1955 की धारा 27 के तहत, शादीशुदा महिला को अपने स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार है।
अगर पति या ससुराल वाले स्त्रीधन देने से मना करें, तो महिला Protection of Women Against Domestic Violence Act, 2005 की धारा 19A के तहत शिकायत कर सकती है।
The Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 के तहत, महिला 24 सप्ताह तक अपनी प्रेग्नेंसी को खत्म कर सकती है। इसके लिए उसे पति की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
Hindu Succession Act 1956 (2005 संशोधन) में शादीशुदा होने के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर हक है। तलाक के बावजूद महिला पूर्व पति की संपत्ति पर दावा कर सकती है।
अगर तलाक होता है तो 5 साल से कम उम्र के बच्चे की कस्टडी मां को मिलने की संभावना अधिक होती है। महिला अपने बच्चे के भरण-पोषण के लिए पति से आर्थिक सहायता मांग सकती है।