संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने एक बार फिर मुंह की खाई है। लेकिन इसके साथ ही उसे दो बड़े आर्थिक झटके भी लगे हैं। जो उसे आर्थिक रुप से तबाही की ओर ले जा रहे हैं।
नई दिल्ली: पाकिस्तान को पिछले 24 घंटे के अंदर दो बड़े आर्थिक झटके लगे हैं, जिसमें उसे हजारो करोड़ का नुकसान हुआ है। पाकिस्तान ने चीन की मदद से बड़े अरमानों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। लेकिन यह चाल पाकिस्तान को उल्टी पड़ गई।
पाक शेयर बाजार डूबा
पहले तो पाकिस्तान की पोल पूरी दुनिया के सामने खुल गई। चीन के अलावा कोई भी और देश उसका साथ देने के लिए आगे नहीं आया। वहीं भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण वहां के शेयर बाजार के निवेशकों ने पैसे वापस निकालने शुरु कर दिए। जिसकी वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है।
पाकिस्तान की मुसीबत इतने पर ही खत्म नहीं होती है। तीसरा सबसे बड़ा झटका उसे अमेरिका ने दिया है। जिसने उसे 3000 करोड़ की बड़ी सहायता देने से मना कर दिया है। आर्थिक मोर्चे पर बदहाल पाकिस्तान के लिए यह सब खबरें किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र में बंद कमरों में कश्मीर विवाद पर चर्चा हुई। जिसका परिणाम भारत के पक्ष में रहा। लेकिन भारत के साथ बढ़ते तनाव के चलते निवेशकों ने पाकिस्तान के शेयर बाजार से पैसा निकाल लिया है. इससे वहां के शेयर बाजार KSE100 का प्रमुख इंडेक्स 700 नीचे गिर गया। जिसकी वजह से पाकिस्तानी निवेशकों के करोड़ों रुपये कुछ ही मिनटों में डूब गए।
अमेरिका ने दिया झटका
अभी पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के इस झटके से उबरने की कोशिश ही कर रहा था कि अमेरिका ने कैरी लूगर एक्ट के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली प्रस्तावित आर्थिक मदद में 44 करोड़ डॉलर (करीब 3036 करोड़ रुपये) की कटौती कर दी है। जिसके बाद पाकिस्तान के हिस्से में 4.1 अरब डॉलर की धनराशि आएगी।
पाकिस्तानी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक इस आर्थिक कटौती के बारे में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के अमेरिकी दौरे से तीन हफ्ते पहले ही सूचित कर दिया गया था। पाकिस्तान को अमेरिका से यह मदद पेपा (पाकिस्तान एन्हांस पार्टनरशिप एग्रीमेंट) के जरिए मिलती है।
आर्थिक बदहाली की कगार पर पाकिस्तान
पिछले एक साल में पाकिस्तान में महंगाई 11 फीसदी हो गई है। वहां का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। साल भर में पाकिस्तान के शेयर बाजार की मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये कम हो गई है।
पाकिस्तान के प्रमुख करांची स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 12,596 अंक गिर गया है। महंगाई बढ़ने से पाकिस्तान में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 40 लाख ज्यादा हो गई है। जबकि दस लाख लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यह है कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 160.87 पर पहुंच गया है। पिछले एक साल में पाकिस्तानी रुपए में 37 प्वाइंट्स की गिरावट हुई है।
साल 2006 की तुलना में देखें तो पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले लगभग 250 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है। 2006 में पाकिस्तानी रुपये की डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए के आस पास यानी 59 रुपए थी।