क्या सचमुच सभी पाकिस्तानी 'मूर्खों के स्वर्ग' में जी रहे हैं?

By Team MyNationFirst Published Aug 13, 2019, 8:08 PM IST
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मसूद कसूरी ने अपने ही देश को आईना दिखाते हुए एक बेहद कड़वी सच्चाई बयां की है। उनका यह संदेश अपने प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ साथ पूरी पाकिस्तानी जमात के लिए भी है। उन्होंने अंग्रेजी के एक मुहावरे 'फूल्स पैराडाईज' यानी  'मूर्खों के स्वर्ग' का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने देशवासियों से इस 'फूल्स पैराडाईज' यानी  'मूर्खों के स्वर्ग' से निकलने का आह्वान किया। 
 

मुजफ्फराबाद: पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी बकरीद के मौके पर एकता दिखाने के लिए गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद गए हुए थे। जहां उन्होंने बातों ही बातों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच पाकिस्तान की दयनीय छवि की बेहद कड़वी सचाई बयां कर दी। 

उन्होंने जम्मू कश्मीर का मामला अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाए जाने के संदर्भ में अपने लोगों को जवाब देते हुए कहा कि 'पाकिस्तानी आवाम को किसी खुशफहमी में नहीं रहना चाहिए और यह उम्मीद बिल्कुल नहीं करनी चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के भारत के कदम पर पाकिस्तान के रुख का स्वागत करने के लिए हार लिए खड़ा रहेगा'।

शाह महमूद कुरैशी ने भारत की आर्थिक ताकत की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ‘देखिए, आप जानते हैं कि दुनिया के उनके (भारत) साथ अपने हित हैं। मैंने आपसे पहले ही इशारों-इशारों में कह दिया कि वहां पर 1 अरब का बाजार है. संयुक्त राष्ट्र में कोई हार लेकर नहीं खड़ा है। इसके लिए हमें खासा संघर्ष करना पड़ेगा।’

कुरैशी ने आगे कहा कि हमें मूर्खों के स्वर्ग में नहीं रहना चाहिए। पाकिस्तानी और कश्मीरियों को यह जानना चाहिए कि कोई आपके लिए नहीं खड़ा है। आपको जद्दोजहद का आगाज करना होगा। हम उम्मत और इस्लाम की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने वहां पर काफी निवेश कर रखा है और उनके अपने फायदे हैं। 

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री ने आगे कहा, ‘जज्बात उभारना बहुत आसान है, मुझे दो मिनट लगेंगे। 35-36 साल से सियासत कर रहा हूं, यह मेरे लिए बाएं हाथ का काम है। जज्बात उभारना आसान है और ऐतराज जताना उससे भी आसान है। लेकिन मसले को आगे की तरफ ले जाना कठिन काम है।’

शाह महमूद कुरैशी ने मुजफ्फराबाद में एक प्रेस कांफ्रेन्स के दौरान यह चिंता जताई कि "सुरक्षा परिषद का कोई भी स्थायी सदस्य पाकिस्तान के प्रस्ताव में रोड़ा डाल सकता है।"

दरअसल सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य रुस के भारत के समर्थन में बयान जारी करने के बाद कुरैशी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश की वास्तविक स्थिति समझ में आ गई है। इसलिए उन्होंने ऐसा कहकर अपना दुख हल्का करने की कोशिश की।  

रूस ने जम्मू कश्मीर के मामले में स्पष्ट तौर पर यह कह दिया है कि राज्य के दर्जे में किया गया बदलाव भारतीय संविधान के दायरे में किया गया है और उसने दोनों पड़ोसियों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया।

जिसके बाद पाकिस्तान के तेवर ढीले पड़ते हुए दिख रहे हैं। उसे अब मात्र चीन का ही सहारा है। लेकिन वह भी भारत के खिलाफ फूंक फूंक कर ही कदम उठाना चाहता है। 

खास बात यह है कि जैसे ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने यह आशंका जताई कि कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के साथ खड़ा होना नहीं चाहेगा। उसके कुछ ही समय बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के अध्यक्ष देश पोलैंड ने सिक्योरिटी काउंसिल में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत के पक्ष का समर्थन करते हुए बयान जारी कर दिया। 
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शाह महमूद कुरैशी के बाद अब  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान के 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुजफ्फराबाद जाएंगे। 
 

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