बी सुंदरराजन और जीबी सुंदरराजन आईआईटी या आईआईएम पासआउट नही हैं। दोनों भाइयों ने साल 1986 में महज 5 हजार रुपये इंवेस्ट कर व्यापार शुरु किया था। कोयंबटूर से करीबन 72 किमी दूर उडुमलाई पेट्टाई में उन्होंने पहला पोल्ट्री फार्म खोला। मौजूदा समय में दोनों भाई देश के सबसे अमीर पोल्ट्री किसान हैं।
कोयम्बटूर। बी सुंदरराजन और जीबी सुंदरराजन आईआईटी या आईआईएम पासआउट नही हैं। दोनों भाइयों ने साल 1986 में महज 5 हजार रुपये इंवेस्ट कर व्यापार शुरु किया था। कोयंबटूर से करीबन 72 किमी दूर उडुमलाई पेट्टाई में उन्होंने पहला पोल्ट्री फार्म खोला। समय के साथ उनका कारोबार तरक्की करता रहा। मौजूदा समय में दोनों भाई देश के सबसे अमीर पोल्ट्री किसान हैं। उनकी कम्पनी का टर्नओवर करीबन 12 हजार करोड़ रुपये है।
साल 1978 में पिता के सुझाव पर शुरु किया बिजनेस
साल 1978 में पिता के सुझाव पर सुंदरराजन ने परिवार की सहायता से सब्जी की खेती शुरु की। उस समय कपास की खेती का चलन था। पर सुंदरराजन ने सब्जियों की खेती करने का निर्णय लिया था। हालांकि तीन साल तक व्यवसाय चला। पर कर्ज बढ़ गया तो उन्होंने हैदराबाद में अपने चचेरे भाई की कम्पनी में काम करने का निर्णय लिया। पर उनका सपना खुद का व्यवसाय शुरु करना था। इसी सपने को पूरा करने के लिए सुंदरराजन ने साल 1986 में कोयम्बटूर में स्माल पोल्ट्री ट्रेडिंग कम्पनी के रूप में सुगुना फूड्स की शुरुआत की।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से सात साल में करोड़ो कमाएं
ट्रेडिंग बिजनेस के तीन साल बीते तो उन्हें फील हुआ कि कई किसान खेती छोड़ रहे थे, क्योंकि खेती से उनकी आय अस्थिर थी। उसी समय सुगुना फूड्स ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरु किया। साल 1997 में 7 करोड़ के कारोबार तक पहुंची। आपको बता दें कि मौजूदा समय में करीबन 80 प्रतिशत मुर्गीपालन के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का यूज किया जाता है। कुल राजस्व का करीबन 97 फीसदी हिस्सा पोल्ट्री व्यवसाय से आता है। श्रीलंका, बांग्लादेश और केन्या जैसे देशों में भी सुगुना फूड्स के प्रोडक्ट निर्यात किए जाते हैं।
18 राज्यों में 40 हजार किसानों के साथ काम
सुगुना फूड्स 18 राज्यों के 40 हजार से अधिक किसानों के साथ काम कर रही है। कंम्पनी के अध्यक्ष बी सुंदरराजन और एमडी उनके बेटे विग्नेश हैं। उनका प्रारंभिक कारोबार मुर्गियों को चारा किसानों को बेचना था। उसी दौरान सुंदरराजन ने मुर्गी पालन की बारीकियों को जाना और साल 1990 में सिर्फ तीन किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत कर दी। दोनों भाइयों ने किसानों को मुर्गियां पालने के लिए जरुरी चीजें उपलब्ध कराईं। किसान उन्हें बढ़ी हुई मुर्गियां देते थे और पैसा लेते थे। साल 1997 तक सुगुन तमिलनाडु का एक घरेलू नाम बन गया था। कम्पनी ने किसानों को तकनीक के गुर सिखाने शुरु कर दिए।
साल 2021 में 9,155 करोड़ रुपये था टर्नओवर
सुगुन फूड्स किसानों को न्यूनतम ग्रोइंग चार्ज का भी भुगतान करती है। पशु आहार का उत्पादन भी किया जाता है। इस तरह कारोबारी बैकग्राउंड या किसी नामी संस्थान की डिग्री न होने के बावजूद दोनों भाइयों ने हजारो करोड़ का व्यवसाय खड़ा कर दिया। साल 2021 में कम्पनी का टर्नओवर 9,155.04 करोड़, जबकि साल 2020 में 8739 करोड़ रुपये था।
Last Updated Jul 24, 2023, 11:36 AM IST