लाइफस्टाइल डेस्क। उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में बदलाव का संकेत पीरियड्स होते हैं,आमतौर पर लड़कियों को 12-13 साल की उम्र में पीरियड्स होते हैं लेकिन खराब लाइफस्टाइल और अन्य परेशानियों के कारण ये एज बदल रही है, ज्यादातर लड़कियां 10 साल की उम्र में पीरियड्स का सामना कर रही है। इस उम्र में वह शरीर के बदलावों को अपनाने में सक्षम नहीं होती और उन्हें कई तरीके के मेंटली स्ट्रेस और डिसऑर्डर से जूझना पड़ता है। कई शोध में ये पाया गया है,बीते कुछ सालों में इस तरह के मामलों मं 15-20 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ऐसे में किशोरावस्था से पहले पहला पीरियड (Early Periods in girls) शरीर को नुकसान पहुंचा सा सकता है,तो चलिए जानते हैं ऐसे क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। 

1) लड़कियों में पीरियड्स आने की उम्र (What age Girl Get Periods)

कहा जाता है, पीरियड्स आने के बाद लड़की किशोरावस्था में आ जाती है हालांकि इसकी कोई उम्र तय नहीं कर सकते है कि ये कब आएगा लेकिन माना जाता है, 12-16 साल के बीच ही महावारी की शुरुआत होती है पर अब इस उम्र में बदलाव आया है और ये 9-10 साल पहुंच गई है। वहीं पीरियड्स शुरू होने से पहले लड़की के शरीर में कई बदलाव दिखने लगते हैं, जिसमें अंडरआर्म्स, वजाइना में बालों का आना है। ये किशोरावस्था के साथ पीरियड्स के भी संकेत देते हैं। 

2) जल्दी पीरियड्स आने के नुकसान (Risks of starting period early) 

डॉक्टर का मानना है, 9-10 साल की उम्र में पीरियड्स आना आने वाले समय में शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं या फिर कोई बीमारी का भी संकेत हो सकते हैं। कई रिचर्स में ये तक दावा किया गया है कि जल्दी पीरियड्स आना महिलाओं में हार्ट रिस्क यानी दिल की बीमार के रिस्क को 10 फीसदी तक बढ़ाता है। 

3) प्री मॉनोपोज की हो सकती है समस्या (what is perimenopause) 

वहीं जिन महिलाओं को उम्र से पहले पीरियड्स आने लगते हैं। उनमें प्री मॉनोपोज की समस्या भी दिखने लगती है। रिपोर्ट्स की मानें तो जो महिलाएं एर्ली एज पीरियड्स का सामना करती हैं। उमने में प्री मॉनोपोज के चांसेज 80 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। 

4) पहले पीरियड्स में बेटी को कैसे करें हैंडल (how to handle first period) 

1) अगर कम उम्र में बेटी को पीरियड्स आते हैं तो उससे बात करने में बिल्कुल आनाकानी ना करें,इससे आपके साथ वह भी अनकंफर्टेबल होगी। हो सके हो 9-10 साल की उम्र में बेटी को शरीर में होने वाले बदलावों और पीरियड्स के बारे में बताने की कोशिश करें। 

2) पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लोटिंग,उल्टी, दर्द,बुखार जैसी चीजों का हौवा ना बनाएं और इससे भी बच्ची को रुबरू कराएं। इसके साथ ही एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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