गोरखपुर। गोरखपुर के पाली ब्लाक के बेलऊर गांव के रहने वाले महेंद्र पहले परम्परागत खेती पर यकीन करते थे। अब आधुनिक खेती कर खुद की किस्मत तो बदली ही है, लगभग 1000 किसानों की जिंदगी में भी बदलाव ला रहे हैं। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए महेंद्र कहते हैं कि साल 2018 में खेती किसानी के बारे में जानकारी के लिए मध्य प्रदेश गया था। वहां काम कर रहे बड़े-बड़े एफपीओ (फॉर्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन) को देखकर विचार आया कि इस तरह काम करके हम भी बेहतर काम कर सकते हैं। 

एफपीओ का टर्नओवर लगभग 8 करोड़

महेंद्र गोरखपुर लौटे तो फिर उन्होंने ब्रम्ह कृषि बायो एनर्जी फॉर्मर प्रोड्यूसर कम्पनी बनाई। किसानों को उसके फायदे बताएं। करीबन 5 लाख की लागत से उन्होंने काम शुरु किया। अब उनके एफपीओ का टर्नओवर लगभग 8 करोड़ है। महेंद्र कहते हैं कि वह मिलेट्स पर भी काम कर रहे हैं और अन्य उत्पाद भी बना रहे हैं। एफपीओ से फायदा यह होता है कि उत्पादों का मूल्य बाजार में आसानी से मिलता है। सारे उत्पाद जैविक विधि से तैयार किए जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर उनका मार्केट भी बन रहा है। आने वाले समय में हम अपने प्रोडक्ट एक्सपोर्ट भी करेंगे। 

 

परम्परागत फसलों के बजाए नकदी फसलों की उपज पर ध्यान

महेंद्र ने एफपीओ बनाने के बाद परम्परागत फसलों के बजाए नकदी फसलों के उपज पर ध्यान दिया। नींबू, केला, काला नमक, सब्जियों और हनी प्रोडक्ट के उत्पादन पर काम किया। मौजूदा समय में उनके तमाम प्रोडक्ट की अन्य शहरों में भी डिमांड है। एफपीओ के जरिए फसल बेचने पर किसानों को उनके उत्पाद की कीमत तुरंत मिलती है। यदि कोई उत्पाद अच्छी कीमत पर बिक जाता है तो उस कमाई को भी किसान के साथ शेयर किया जाता है।

किसानी की देसी पद्धति अपनाने के लिए कर रहे जागरुक

महेंद्र एफपीओ से किसानों को जोड़कर खेती की देसी पद्धति अपनाने के लिए जागरुक कर रहे हैं और उनके उपज को मार्केट उपलब्ध कराकर आमदनी बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। महेंद्र कहते हैं कि अभी एक हजार किसान उनके एफपीओ से जुड़े हैं। आने वाले समय में उनकी योजना 6 हजार किसानों को अपने एफपीओ से जोड़ने की है। 

 

स्वंय सहायता समूह से महिलाओं की बढ़ रही आमदनी

महेंद्र ने साल 2021 में लखनऊ में आयोजित गुड़ महोत्सव में मॉडल गांव की अवधारणा को समझा और फिर गांव में इसे बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। वह महिलाओं के स्वंय सहायता समूह भी बना रहे हैं, जो घर में अचार और रोजमर्रा के जीवन में यूज होने वाली अन्य चीजें बना रही हैं। महेंद्र इस काम के जरिए उन महिलाओं की भी आय बढ़ाने के लिए जुटे हैं। जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें शहर में मिलेट्स के आउटलेट के लिए जगह देने की बात कही गई है। उनका एक मिलेट्स का आउटलेट शहर में चल रहा है। इसके अलावा महेंद्र अगरबत्ती, धूपबत्ती, क्वायल जैसे उत्पाद बनाकर भी गांव वालों को रोजगार से जोड़ रहे हैं।

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