दिल्ली ।कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो आपको प्रेरणा देती हैं संघर्ष करने की अपने वजूद को समझने की ,अपने अस्तित्व को रिप्रेजेंट करने की, अपने अंदर चलने वाली जंग को जीतने की, समाज से आंखें मिलाकर खुद को कबूल करने की, अपनी जिंदगी अपने लिहाज से जीने की। एला डी वर्मा की जिंदगी हमें यही सिखाती है हर पल एक प्रेरणा देती है, लकीर खींचने की, मिसाल कायम करने की। माय नेशन हिंदी से एला ने अपनी जर्नी शेयर की।

कौन हैं एला 
एला का जन्म दिल्ली में हुआ।  उनके पिता मिस्टर वर्मा के नाम से मशहूर है और एक बिजनेसमैन है। एला की मां वर्षा वर्मा एक होम मेकर है परिवार में उनकी एक छोटी बहन है।एला की स्कूलिंग सेंट मार्क सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल मीरा बाग दिल्ली से हुई। एला अपने माता-पिता की बड़ी औलाद हैं, उनका जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था और उनका नाम देव वर्मा था।

मां ने कहा तुम गे हो
एला कहती हैं बचपन से ही मुझे लड़कियों के साथ रहना पसंद था। लड़कियों के फैशन के कपड़े, उनके असेट्स, उनकी तरह मेकअप करना अच्छा लगता था। सॉफ्टवेयर पर यह कह सकते हैं की एक पुरुष के शरीर में एक महिला वास कर रही थी। प्यूबर्टी के टाइम में इस मिस कनेक्शन से मेरे अंदर एक जंग छिड़ गई। मुझे लग रहा था जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ेगी मेरा शरीर एक महिला की तरह डेवलप होगा लेकिन मुझे दाढ़ी मूछ निकलने लगी। यह बात मुझे परेशान कर रही थी मेरा कॉन्फिडेंस लेवल कम होता जा रहा था और फिर मैंने तय किया की मामा से बात करूंगी। मां से जब बताया कि मैं लड़का नहीं हूं तो उन्होंने सीधे तौर पर कहा तुम "गे" हो। घबराहट में मैंने हां कर दिया। 

लॉकडाउन में एक खूबसूरत औरत में तब्दील हो गई एला
मेरे मां बाप ने मेरा विरोध नहीं किया। हमेशा सपोर्ट किया। मेरे अंदर जो कुछ चल रहा था उसे लेकर पापा मां मुझे डॉक्टर के पास कंसल्टेंसी के लिए ले गए। डॉक्टर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, डॉक्टर मुझे दवाई देते। खुश रहने को कहते । जब डॉक्टर भी कुछ नहीं कर पाए तब पापा ने कहा कि तुम्हें ऑस्ट्रेलिया मासी के पास भेज देंगे। मैं खुश हो गई इसलिए भी क्योंकि स्कूल में मुझे बहुत बुली किया जाता था। मुझे लगा ऑस्ट्रेलिया जाकर मैं अपने तरीके से जिंदगी जिऊंगी लेकिन तभी लॉकडाउन लग गया। इस दौरान मैंने खुद को एक फीमेल में ट्रांसफॉर्म करना शुरू कर दिया। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर अपना अकाउंट बनाया । मॉडलिंग और फैशन के वीडियो डालने लगी। तमाम ऑफर आने लगे लेकिन यह सोचकर मना कर देती थी कि इन्हें अगर मेरी असलियत का पता चलेगा तो यह मुझे काम नहीं देंगे। लेकिन इसके साथ मेरा कॉन्फिडेंस डेवलप हो रहा था। 

एक लड़के ने मेरा पैंट उतार दिया
स्कूल के एक्सपीरियंस बताते हुए एला कहती हैं, मैं पढ़ने में अच्छी थी गाना गाती थी, स्पोर्ट्स पसंद था, लेकिन मेरी गर्लिश हैबिट की वजह से लोग मुझे मीठा हिजड़ा छक्का कहकर चिढाते थे। मैं अगर किसी के साथ खेलना चाहती थी तो लोग मना कर देते थे। मैं वॉशरूम जाती थी तो लड़के लॉक तोड़ने की कोशिश करते थे। मैं अपने स्कूल के आईडी कार्ड में लगे रिबन से वॉशरूम की कुंडी टाइट से बंद करती की कहीं लॉक टूट न जाए। एक बार थिएटर की प्रैक्टिस कर रही थी तो एक लड़के ने आकर मेरी पैंट खींच दिया। उस दिन मैं बहुत दुखी हुई। बस यही सोचती रहती थी की स्कूल के लोगों से दूर हो जाऊं।

डॉक्यूमेंट में जेंडर चेंज करने गई तो लोगों ने बनाया मजाक
मेरे मां-बाप मुझे समझ चुके थे इसलिए पापा मेरे डॉक्यूमेंट में जेंडर चेंज करने के लिए  दफ्तरों के चक्कर काटने लगे। आधार कार्ड में जब जेंडर चेंज करने की बात आई तो सामने बैठे लोगों ने पापा की बात सुनकर बड़े व्यंग्य से मुंह बनाया हो जैसे कितना बड़ा अपराध कर दिया हो। जेंडर चेंज करने के लिए हमें लीगल हेल्प लेनी पड़ी। मेरा ट्रांसजेंडर होना हर जगह मेरे लिए मुश्किल पैदा कर रहा था। मैंने एक्टिंग के लिए ऑडिशन दिया तो कई जगह यह कहकर मना कर दिया गया कि आप तो औरत लगती है ट्रांसजेंडर नहीं लगती। कई बार ऐसा हुआ की ऑडिशन में सिलेक्ट भी हो गई लेकिन सिलेक्शन के बाद मना कर दिया जाता था। 

सोशल मीडिया ने मजबूत किया
एला कहती है मैंने यूट्यूब इंस्टाग्राम फेसबुक हर जगह अपना अकाउंट बनाया। यहां  मैं फैशन वीडियो डालने लगी।
सोशल मीडिया पर मेरे लिए लोगों का प्यार बढ़ रहा था। इसी दौरान बड़े-बड़े ब्रांड कांटेक्ट करने लगे और फिर मुझे जिवाम लॉन्जरी से ऑफर मिला जिसे मैंने एक्सेप्ट किया और महज़ 17 साल की उम्र में मैं जीवाम की ट्रांस फेस बन गई। इसके बाद बहुत सारी फैशन ब्रांड का छूट मिलने लगा। मिस ट्रांस क्वीन इंडिया २०२३ की में मैं फर्स्ट रनर अप रही हूं। आज मैं एक इंडिपेंडेंट ट्रांस क्वीन बन चुकी हूं।

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