फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल को लेकर देश की राजनीति गरम है। एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी 60 हजार करोड़ के 36 राफेल लड़ाकू विमान के खरिद में घोटाले का आरोपों लगा रही हैं। उसी समय फ्रांसीसी वायु सेना के पायलट राफेल को मध्य भारत के एक एयर बेस पर उतारने जा रहे हैं। इस फाइटर प्लेन को भारतीय पायलट भी उड़ाएंगे।

फ्रांसीसी वायुसेना के तीन राफेल पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हुई कई देशों के संयुक्त युद्ध अभ्यास ‘’पिचब्लैक’’ में भाग लेने के बाद फ्रांस वापस लौटते समय ग्वालियर एयर बेस पर उतरेंगे। वायु सेना के सूत्रों ने बताया कि इस युद्ध अभ्यास में भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान और सु -30 एमकेआई लड़ाकू विमान ने भी भाग लिया था।

सूत्रों ने बताया कि "आज से शुरू होने वाली एक्सचेंज प्रोग्राम योजना के तहत, फ्रांसीसी वायुसेना के पायलट भारतीय वायुसेना के मिराज -2000 विमान के अपग्रेड किए गए विमान से उड़ान भरेंगे। जबकि भारतीय वायुसेना के पायलट राफले विमानों में उड़ान भरेंगे जिससे जब 36 राफेल भारत आएगा तो इसे उड़ाने का हमारे पायलटों को कुछ अनुभव रहेगा।

भारतीय वायुसेना सितंबर 2019 में 36 राफेल विमानों में से पहली खेप के भारत पहुंचने की उम्मीद कर रही है। जबकि शेष को यहां पहुंचने में कुछ समय लगेगा। 36 राफेलों को दो स्क्वाड्रन में विभाजित किया जाएगा और इसमें से एक स्क्वाड्रन का संचालन हरियाणा के अंबाला से और दूसरे स्क्वाड्रन का बंगाल में हाशिमारा एयर बेस पर तैनात किया जाएगा।

1999 में हुए कारगिल संघर्ष में गेम चेंजर्स साबित हुए फ्रांसीसी मूल के लडाकू विमान मिराज-200 का  ग्वालियर एयर बेस 30 तीन दशकों से भी अधिक समय से घर रहा है। इस लड़ाकू विमान ने करगिल युद्ध के समय कारगिल-ड्रास की पहाडियों पर अड्डा जमाए बैंठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

कांग्रेस आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार द्वारा 36 राफल लड़ाकू विमान की खरीद में घोटाला हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि, इस खरीद में मोदी सरकार ने खास उद्योगपतियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया है।