नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान से साफ कहा कि अगर उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना और ब्लैक लिस्ट में जाने से बचना है तो उसे अपने देश से आतंकवाद को खत्म करना ही होगा। अमेरिका ने कहा कि पिछले साल पाकिस्तान ने जो एफएटीएफ से वादा किया था उसे वह पहले पूरा करे। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो ये उसके लिए विनाशकारी हो सकता है।

पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने से बचने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति से ब्लैक लिस्ट से बचने की गुहार लगाई थी। लेकिन अब अमेरिका ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की किसी भी तरह मदद नहीं करेगा। हालांकि कल ही फ्रांस ने भी पाकिस्तान को किसी भी तरह की रियायत नहीं देने की बात कही थी। वहीं पाकिस्तान का आका चीन उसे बचाने की कोशिश कर रहा है।

क्योंकि एफएटीएफ के एशिया पैसिफिक ग्रुप की बीजिंग में हुई बैठक में चीन ने पाकिस्तान का साथ देते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंक को रोकने के लिए कड़े उठा रहा है और उसने कई तरह के एक्शन आतंकियों के खिलाफ उठाए हैं। हालांकि अब अमेरिका ने पाकिस्तान से साफ कहा कि जो वादे उसने एफएटीएफ से पिछले बैठक किए थे, वह पहले उन पर एक्शन ले। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो इसकी विफलता के परिणाम उसे खुद भुगतने पड़ेंगे और यह उसके आर्थिक सुधारों के लिए "विनाशकारी" होंगा। 

वॉचडॉग बॉडी, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को पाकिस्तानी मीडिया और अपने गुप्त एजेंसियों से जो संकेत मिले हैं। उसके मुताबिक पाकिस्तान ने कोई एक्शन नहीं लिया है। वहीं अगर पाकिस्तान आने वाले समय में किसी तरह के सख्त एक्शन नहीं लेता है तो 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज खत्म हो सकता है। एफएटीएफ की जून 2018 की बैठक में 39 सदस्यों में से ज्यादातर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने के पक्ष में था। लेकिन इसमें पाकिस्तान के आका चीन और तुर्की ने उसे बचा लिया था। जिसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा गया था।