पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर है। दो साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में अक्षम कर्मचारियों को सरकारी नौकरी से बाहर करने का फैसला किया था। वहीं अब राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने भी 50 वर्ष से ज्यादा के अक्षम सरकारी कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया है। इसके लिए कर्मचारियों की दो साल के कार्यकलापों की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने समितियों का गठन किया है।

असल में राज्य में सरकार सरकारी महकमों को चुस्त दुरूस्त करना चाहती है औ्रर इसके लिए सरकार ने नीति बनाई है। जिसके तहत हर साल दो बार कर्मचारियों के कार्यों की समीक्षा की जाएगी। इसमें कर्मचारियों की सत्यनिष्ठा के साथ कार्य दक्षता और उनके आचार को भी देखा जाएगा। जिन कर्मचारियों का प्रदर्शन नकारात्मक होगा, उन्हें सरकारी नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा और अनिवार्य सेवानिवृति दी जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने विभिन्न स्तर पर अलग-अलग समितियों का गठन किया है।

इसके लिए राज्य सरकार ने संकल्प जारी कर दिया है और इसके तहत बताया गया है कि कैसे समीक्षा की जाएगी और किस स्तर पर प्रक्रिया चलेगी। इशके साथ ही इस नीति के तहत 50 वर्ष से उपर के समूह क, ख, ग और अवर्गीकृत सभी समूहों के सरकारी कर्मचारियों के कार्यकलापों की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए हर हर विभाग में समीक्षा के लिए समिति का गठन कर दिया गया है।  फिलहाल इस नीति के तहत समूह ‘क’ के कर्मचारियों के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव या प्रधान सचिव या सचिव की अध्यक्षता में विभाग में समिति बनेगी। जबकि समूह ‘ख’ के लिए अपर सचिव या संयुक्त सचिव समिति के अध्यक्ष होंगे जबकि समूह ‘ग’ के लिए समिति के अध्यक्ष संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी होंगे।