बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। लेकिन उनका यह ऐलान कांग्रेस को बहुत भारी पड़ने वाला है।  

लखनऊ: बसपा अध्यक्ष मायावती ने अब साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए देश भर में कहीं भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। 

जिसके बाद से बसपा और कांग्रेस के बीच महागठबंधन की सभी अटकलों पर विराम लग गया है। 

मायावती ने साफ तौर पर बयान दिया है कि ‘मैं एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दूं कि बसपा किसी भी राज्य में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी’।

उन्होंने आगे कहा कि 'उप्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में बसपा और सपा के बीच गठबंधन हुआ है। जबकि हरियाणा और पंजाब में राज्य की स्थानीय पार्टी के साथ बात लगभग तय है। बसपा से चुनावी गठबंधन के लिए कई पार्टियां तैयार हैं, लेकिन चुनावी लाभ के लिए हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो बसपा के हित में न हो’।

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मायावती के इस ऐलान से पहले यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो जाएगी। 

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए सपा और बसपा के बीच गठबंधन है। सपा यूपी की 37 सीटों और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल बताते हैं क्योंकि उन्होंने अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। 

लेकिन उनकी सहयोगी मायावती किसी भी सूरत में कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं। क्योंकि बसपा आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से दूरी बनाए रखना चाहती है। 

बताया जा रहा है कि मायावती की वजह से ही यूपी में हुए महागठबंधन में कांग्रेस को सम्मानजनक स्थिति नहीं मिल पाई। 

दरअसल उत्तर प्रदेश में दलित और मुस्लिम कभी कांग्रेस पार्टी के पुराने वोट बैंक रहे हैं। जिसे मायावती ने कांगेस से छीन लिया। अब मायावती को इस बात की आशंका रहती है कि उनका वोटबैंक कांग्रेस के पास न लौट जाए। 

इसके अलावा हो सकता है कि मायावती दूरगामी राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस से दूरी बनाकर बीजेपी से बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहती हों।