जम्मू कश्मीर के कट्टर अलगाववादी नेता मसरत आलम, अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और आसिया अंद्राबी को पटियाला हाउस कोर्ट के एनआईए कोर्ट ने 10 दिन की रिमांड पर भेज दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम मे ही तीनो आरोपियों से एनआईए की टीम अलग- अलग पूछताछ किया था। 

वही मसरत ने ईद के बाद पूछताछ करने की सिफारिश की थी। लेकिन कोर्ट ने मना कर दिया था। मसरत आलम के मामले में अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और आंसिया अंद्राबी को कोर्ट ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने की अनुमति दे दिया था। एनआईए ने तीनों आरोपियों की 15 दिन की कस्टडी की मांग की थी। 

"

बता दें की मसरत आलम को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया है और इसी सिलसिले में शब्बीर शाह और आंसिया अंद्राबी से एनआईए पूछताछ करेगी। ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग के मुखिया मसरत आलम को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा पिछले दिनों जेल से आजाद करने के बाद बवाल मच गया था। 

मसरत पहली बार 2008 मे श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड मामले में सुर्खियों में आया था। फिर, 2010 में इसने सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन चलाया और सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजी को युवाओं का मुख्य हथियार बना दिया था, जिसमें 117 लोग मारे गए थे। 

दरअसल रिहाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मसरत आलम के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट की जो धाराएं लगाई गई हैं, वे सही नही है। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा था कि यह रिकॉर्ड जल्द से जल्द होनी चाहिए। 

गौरतलब है कि मसरत आलम को एक रैली के दौरान भारत विरोधी नारे और पाकिस्तानी झंडे लहराने के आरोप में में गिरफ्तार किया गया था। इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर की सरकार ने 1 मार्च 2015 को उसे रिहा करने का आदेश दिया था। इस पर काफी बवाल हुआ था। मसरत आलम पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के 27 मामले हैं। वर्ष 2098 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान करीब 100 युवक पत्थरबाजी में मारे गए थे। मसरत इस आंदोलन का मास्टरमाइंड था।