लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में एक लोकसभा सीट ऐसी है, जो सबसे ज्यादा सबसे चर्चा का विषय रही है। रामपुर लोकसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां भाजपा की जयाप्रदा और समाजवादी पार्टी के आजम खान के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस की ओर से संजय कपूर और एमडीपी के टिकट पर अरसद वारसी मैदान में हैं। चार उम्मीदवार बतौर निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहे हैं। 11 में से 8 उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से हैं। रामपुर में तीसरे चरण में मतदान हुआ था। शुरुआती रुझानों में जया प्रदा ने आजम खान पर बढ़त बना ली है। 

रामपुर लोकसभा सीट पर प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा निजी हमले हुए। यहां तक कि चुनाव आयोग को सपा प्रत्याशी आजम खान पर 72 घंटे की रोक लगानी पड़ी। रामपुर में जया प्रदा और आजम खान की अदावत काफी पुरानी है। साल 2004 और साल 2009 में समाजवादी पार्टी ने यह सीट जीती। दोनों बार जया प्रदा ने यहां से जीत हासिल की। खास बात यह है कि 2009 में आजम खान के तमाम विरोध के बावजूद जया प्रदा रामपुर सीट से जीतने में सफल रही। आजम खान पर ऐसे आरोप भी लगे थे कि 2009 में कई इलाकों में उन्होंने जया प्रदा का प्रचार नहीं होने दिया था। रामपुर आजम खान का गढ़ है और उनके कड़े विरोध के बावजूद जया प्रदा की जीत से मिले झटके से वह उबर नहीं पाए। अब जबकि भाजपा ने आजम खान को घेरने के लिए जया प्रदा को मैदान में उतारा तो उन पर दिए निजी बयान दिए गए। 

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रामपुर के इतिहास की बात करें तो 1957 और 1962 में कांग्रेस के राजा सईद अहमद मेंहदी यहां से जीते थे। इसके बाद कांग्रेस के ही जुल्फिकार अली खान यहां पर सांसद चुने गए। 1977 में इस सीट से भारतीय लोक दल के राजेंद्र कुमार शर्मा विजयी हुए थे। इसके बाद फिर से यहां कांग्रेस जीता। साल 1991 में भाजपा के राजेंद्र कुमार शर्मा फिर से सांसद बने। 1998 में भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने रामपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। साल 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में अभिनेत्री और जयाप्रदा सपा के टिकट पर यहां से जीतीं। 2009 में वो फिर से यहां चुनाव जीतीं। 2014 में 16 साल बाद यहां कमल खिला और डा. नेपाल सिंह सांसद बने। इस बार पार्टी ने जया प्रदा को मैदान में उतारा है।