पहला राफेल विमान भारतीय वायुसेना को सितंबर 2019 में मिलना है। लेकिन भारत की जरूरतों के मुताबिक इसमें किए जाने वाले बदलावों को परखने के लिए इसे 1500 घंटे के सघन परीक्षण से गुजरना होगा।
नई दिल्ली। राफेल विमान सौदा लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष का सियासी हथियार था। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद इसे लेकर विपक्ष कोई माहौल नहीं बना पाया। जल्द ही राफेल विमान भारतीय वायुसेना का हिस्सा होंगे। इस बीच वायुसेना प्रमुख के दिल्ली स्थित आवास के बाहर राफेल की एक प्रतिकृति लगाई गई है। खास बात यह है कि उनका आवास कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड के ठीक सामने है। जानकार इस तरह राफेल की प्रतिकृति लगाने के कई मायने निकाल रहे हैं। इससे पहले, यहां पर सुखोई-30 विमान की प्रतिकृति लगाई गई थी, जिसे कुछ महीने पहले हटा दिया गया।
Replica of Rafale jet erected outside Air Chief Marshal BS Dhanoa’s residence in Delhi. His residence is next to Congress Headquarters. pic.twitter.com/Icoo63G2At
— ANI (@ANI) May 31, 2019
पहला राफेल विमान भारतीय वायुसेना को सितंबर 2019 में मिलना है। लेकिन भारत की जरूरतों के मुताबिक इसमें किए जाने वाले बदलावों को परखने के लिए इसे 1500 घंटे के सघन परीक्षण से गुजरना होगा। इसलिए राफेल के चार विमानों की पहली खेप मई 2020 में अंबाला में पहुंच जाएगी।
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लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए लगातार राफेल को मुद्दा बनाया गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार पीएम मोदी पर 'चौकीदार चोर है' कहकर हमले बोलते रहे। इसके जवाब में पीएम मोदी ने 'मैं भी चौकीदार' मुहिम चलाई और ट्विटर पर अपने नाम के आगे चौकीदार शब्द जोड़ लिया।
वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ राफेल को वायुसेना के लिए 'गेम चेंजर' बता चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था कि 'वायुसेना को राफेल की दो स्क्वॉड्रन मिलेंगी। राफेल की ताकत से लैस होने के बाद कोई भी दुश्मन भारत के हवाई संचाल में घुसपैठ नहीं कर सकता। यह एक बड़ी बात है।'
खास बात यह है कि वायुसेना में शामिल किया जाने वाला पहले राफेल विमान 'गोल्डन एरो' कही जाने वाली 17 स्क्वॉड्रन से जुड़ेगा। कारगिल युद्ध के समय इस स्क्वॉड्रन की कमान मौजूदा वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ही संभाल रहे थे।
Last Updated May 31, 2019, 7:01 PM IST