भोपाल। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ का दावा है कि राज्य में सरकार बहुमत है और उसे किसी भी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन सच्चाई ये है कि राज्य में जो कुछ भी चल रहा है।  उसके पीछे सबसे बड़ी वजह कांग्रेस में पिछले एक साल से चली आ रही गुटबाजी है। हालांकि कोई भी नेता एक दूसरे खिलाफ बयान नहीं दे रहा है। मौजूदा सियासी ड्रामे को लेकर राज्य के वनमंत्री का कहना है कि ये राज्यसभा की लड़ाई है। हालांकि उन्होंने खुलेतौर पर किसी का नाम नहीं लिया है।

असल में पिछले एक साल से गुटबाजी चरम है। राज्य में तीन गुट है। इन तीनों गुटों के नेता सत्ता की चाबी अपने पास रखना चाहते हैं। राज्य में कमलनाथ गुट अभी तक सब पर हावी होता रहा है और सत्ता उसी के हाथ में है। लेकिन राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताकत को नकारा नहीं जा सकता है। सिंधिया पिछले महीने एकाएक राज्य में सक्रिय हुए हैं। उन्होंने राज्य में कार्यकर्ताओं से मिलना भी शुरू कर दिया है। जिसके बाद राज्य में सियासी माहौल गर्मा गया है।

सिंधिया की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ये कयास लग रहे थे कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें राज्यसभा भेजने के साथ ही प्रदेश संगठन की कमान सौंपने का इशारा  किया है।  हालांकि राज्य में कमलनाथ  और सिधिया के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। अगर पिछले एक साल के दौरान सिंधिया और दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार के खिलाफ बयान देते रहे हैं। वह राज्य में कांग्रेस घोषणा पत्र को लागू के लिए कमलनाथ सरकार पर दबाव बनाते हैं। हालांकि दिग्विजय सिंधिया की तुलना  में कमलनाथ का समर्थन करते हैं। लेकिन राज्य सरकार की आलोचना करने से नहीं चूकते हैं। कमलनाथ सरकार में वन मंत्री उमंग सिंघार का कहना है कि ये सब राज्यसभा में जाने की लड़ाई है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।

 लेकिन माना जा रहा कि उनका इशारा सिंधिया और दिग्विजय सिंह पर है। सिंघार का ये इशारा राज्य में कांग्रेस की स्थिति को साफ करता है। सिंघार ने एक ट्वीट में कहा कि राज्य में कमल नाथ सरकार बहुमतत है और यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं। असल में राज्य में  राज्यसभा की तीन सीटों के लिए जल्द चुनाव होने वाला है। इसमें एक सीट भाजपा और दो सीट कांग्रेस में जाना  तय है। लेकिन कांग्रेस में दावेदार काफी हैं। वहीं माना जा रहा है कि राज्य में राज्यसभा चुनाव के बाद बगावत हो सकती है। क्योंकि कई नेता राज्यसभा के लिए दावा कर रहे हैं। हालांकि कोई भी नेता खुलकर सामने नहीं आ रहा है। लेकिन अपने समर्थकों के जरिए आलाकमान पर दबाव बनाए हुए है।