भगवान के अपने देश के नाम से जाने जाना वाला राज्य भीषण तबाही के दौर से गुजर रहा है। तबाही की इस घड़ी में पूरा देश केरल की प्रभावित जनता के साथ है। भयानक कुदरती आपदा पर सियासत भी देखने को मिली है। विपक्ष ने केंद्र सरकार से केरल की स्थिति को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। राहुल गांधी ने खुद इस मांग को उठाते हुए ट्वीट किया था।


आपदा पर विपक्ष की मांग में बड़ा विरोधाभास है। एक तरफ जहां राहुल गांधी केरल की त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं तो शशि थरूर ये समझाते हुए ट्वीट कर रहे हैं कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित क्यों नहीं किया जा सकता है।


राहुल गांधी ने जहां केंद्र से सीधा मांग कर दी है तो इस मांग के पीछ केंद्र को अड़चने क्या आ रही हैं ये शशि थरूर का ट्वीट हमें समझाता है। थरूर ने एक लेख का हवाला दिया है। 


शशि थरूर द्वारा जिस लेख का हवाला देकर रीट्वीट किया गया है उसका लब्बोलुआब कुछ यूं है कि केंद्र सरकार को केरल में कुदरती कहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में दिक्कत क्या है?
किसी भी आपदा को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने का आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के मुताबिक कोई साफ कानूनी प्रावधान नहीं है। 1999 में भी जब ओडिशा में भयंकर चक्रवात के रूप में कुदरत का कहर बरपा था तब इसे राष्ट्रीय आपदा नहीं माना गया था। 2001 के गुजरात के भूकंप के दौरान भी यही दिक्कत आई थी। बावजूद इसके केंद्र सरकरों ने हर स्तर पर मोर्चा संभाला। केंद्र मदद मांगने वाले राज्य को एनडीआरएफ, सेना, नौसेना, वायुसेना की मदद मुहैया कराता रहा है।


केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल को 500 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य को 100 करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की थी।