नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संकट के बीच केन्द्र सरकार ने स्थायी निवासी के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन के बाद राज्य के निवासी के तौर पर अन्य कई लोग भी शामिल हो जाएंगे, जिन्हें पहले नागरिक नहीं माना जाता था। क्योंकि राज्य में अपना कानून था, लेकिन राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य में नया कानून लग गया था। वहीं अब राज्य में अन्य राज्यों के लोग भी नौकरी कर सकेंगे। जबकि पहले इस पर रोक थी।

पहले केवल स्थायी निवासी जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरियों के लिए पात्र थे, लेकिन अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद अन्य राज्यों के लोगों को भी इसका अधिकार मिल गया है। केन्द्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A द्वारा संचालित संविधान ने जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को परिभाषित किया था। केन्द्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों की पहचान के लिए 14 मई, 1954 को कट ऑफ की तिथि माना जा है और इसके साथ ही उन लोगों को भी राज्य का निवासी माना जाएगा जो 10 साल या उससे अधिक समय तक राज्य में रह रहे हैं या फिर रह चुके हैं।

उनके बच्चों को स्थायी निवासियों के रूप में मान्यता दी जानी थी। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियां केन्द्र सरकार के नोटिफिकेशन का विरोध कर रहे हैं। इस नियम के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 15 वर्षों से रहता है या उसने कम से कम सात वर्षों तक अध्ययन किया है और एक स्थानीय स्कूल से 10 वीं या 12 वीं की परीक्षा में शामिल हुआ है, उसे जम्मू-कश्मीर का निवासी माना जाएगा।

इसके अतिरिक्त, राहत और पुनर्वास आयुक्त (प्रवासी) द्वारा प्रवासी के रूप में पंजीकृत एक व्यक्ति को भी जम्मू-कश्मीर का निवासी माना जाएगा। माना जा रहा है कि इससे जम्मू-कश्मीर में कई हिंदू, सिख और मुस्लिम प्रवासियों को लाभ मिलेगा। नए नियमों के मुताबिक केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, स्वायत्त केंद्र सरकार के निकायों के कर्मचारियों और अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के बच्चों को भी नए नियमों के तहत लाभ मिलेगा। अगर उन्होंने 10 साल या उससे अधिक समय से केंद्र शासित प्रदेश में सेवा की हो।