मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद सालेह ने शपथ ले ली है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी सबसे महत्वपूर्ण मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद थे। यह समारोह मालदीव की राजधानी माले के फुटबॉल स्टेडियम में संपन्न हुआ। 

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के फौरन बाद अपने भाषण में इब्राहिम मोहम्मद सालेह ने कहा, 'मैं राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल रहा हूं लेकिन देश की वित्तीय स्थिति अनिश्चित है। काफी ज्यादा नुकसान उन प्रॉजेक्टों के कारण हुआ है जिन्हें सिर्फ राजनीतिक मकसद से और घाटे में शुरू किया गया।' 

सालेह ने कहा, 'सरकार में अलग-अलग स्तर पर हुए भ्रष्टाचार और गबन के कारण सरकारी खजाने को कई अरब का नुकसान हुआ।' 

उन्होंने साफ कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में चीन से मिले भारी-भरकम कर्ज के बाद सरकारी खजाने को जमकर लूटा गया। इससे देश के सामने गंभीर वित्तीय संकट पैदा हो गया है। 
उन्होंने आगे कहा कि अभी साफ नहीं है कि देश को कितना घाटा हुआ है।
 
सालेह ने बताया कि चीन ने बेशक निवेश किया, लेकिन इससे मालदीव कर्ज में फंस गया। मेरी सरकार इस बात की जांच करेंगी कि पिछली सरकार में प्रोजेक्ट्स के ठेके चीनी कंपनियों को कैसे मिले?

नए राष्ट्रपति के सलाहकारों ने जानकारी दी कि इस हफ्ते यामीन सरकार द्वारा की गई सभी डीलों का फरेंसिक ऑडिट कराया जाएगा। इनमें से कई डील चीन की कंपनियों के साथ की गई है। 

सालेह के सलाहकारों के मुताबिक मालदीव पर चीनी ऋणदाताओं का 1.5 अरब डॉलर कर्ज है लेकिन आशंका इस बात की है कि यह और भी ज्यादा हो सकता है। यह 1.5 अरब डॉलर का कर्ज ही देश के सालाना GDP के एक चौथाई से ज्यादा है। 

मालदीव उन छोटे देशों में से एक है जहां चीन ने अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव के तहत सड़क और हाउजिंग निर्माण के नाम पर लाखों डॉलर का निवेश किया है। हालांकि इन प्रॉजेक्टों के कारण लगभग 4 लाख की आबादी वाला यह देश कर्ज में फंस गया।

मोदी और सालेह की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीएम मोदी ने सालेह से कहा है कि भारत इस आर्थिक संकट के समय में मालदीव की पूरी मदद करने के लिए तैयार है। दोनों नेताओं ने कई द्विपक्षीय मसलों पर भी विस्तार से चर्चा की।
 
सितंबर 2018 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में यामीन के खिलाफ सालेह ने संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। 

उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है। जिनके शासनकाल में मालदीव चीनी कर्ज के जाल में फंसकर रह गया। अब मोहम्मद सालेह को इस समस्या से अपने देश को मुक्त कराने की जिम्मेदारी है।