Divorce Case in Mumbai: मराठी में ‘तुला अक्कल नहीं, तू वेडी आहेस (तुम्हारे पास दिमाग नहीं है, तुम पागल हो)’, ये कहना दुर्व्यवहार नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हा​ल ही में तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि ये बात दुर्व्यवहार नहीं है, जब त​क कि ऐसे स्टेटमेंट का रिफरेंस किसी भी शख्स का इंसल्ट करना न हो। जस्टिस नितिन सांबरे और जस्टिस शर्मिला देशमुख की डिवीजन बेंच ने कहा कि घरों में मराठी में बातें होती हैं। इन बातों को तब तक इंसल्टिंग नहीं माना जा सकता। जब तक इंसल्ट करने के इरादे से ऐसा न किया गया हो।

पत्नी का इन शब्दों के आधार पर केस दर्ज कराना क्रूरता के समान

कोर्ट ने यह भी कहा कि दुर्व्यवहार करने वाले शब्दों के इस्तेमाल के संदर्भ में कोई सबूत दिए बिना, इस आधार पर ​पति के खिलाफ पत्नी का केस दर्ज कराना, क्रूरता की तरह होगा। उन घटनाओं का भी विवरण नहीं दिया गया, जिस दौरान यह बातें कही गईं। पत्नी का आरोप है कि पति देर रात को घर आता था और बाहर घूमने जाने की बात पर उस पर चिल्लाता था। उसने मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके पति ने ‘तुला अक्कल नहीं, तू वेडी आहेस’ जैसी गंदी भाषा का यूज किया।

फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

दरअसल, तलाके के एक मामले में फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी। फैमिली कोर्ट के उसी फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि पत्नी के लगाए गए आरोपों ने जिन शब्दों का इस्तेमाल कर पति पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया है। उसका मतलब यह नहीं हो सकता कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

हाईकोर्ट ने कहा-पति तलाक का हकदार

पति का दावा था कि उसकी पत्नी का आचरण क्रूरता के समान था। उसके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए। जिससे समाज में उसकी और उसके परिवार की प्रतिष्ठा पर असर पड़ा। पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक के मामले में एविडेंस की जांच के दौरान एफआईआर दर्ज कराई। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि मुकदमे की जांच इशारा करती है कि पति को झूठा फंसाया गया। हाईकोर्ट ने पति को तलाक का हकदार बताया।

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