बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने पाकिस्तान से लगते राजस्थान के जैसलमेर जिले की डेमोग्राफी में असाधारण रुप से बदलाव आने पर गहरी चिंता जताई है और इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी है। 

बीएसएफ की तफ्तीश में यह बात सामने आई है कि सीमाई इलाकों में मुस्लिमों में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है और वे अपनी पारंपरिक राजस्थानी पहचान के बजाय अरब की परंपराओं पर ज्यादा जोर देने लगे हैं। 

इस इलाके में जहां दूसरे समुदायों की आबादी में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है वहीं मुस्लिम आबादी 22 प्रतिशत यानी बाकी समुदायों की अपेक्षा दोगुनी से भी ज्यादा रफ्तार से बढ़ रही है। 

इतना ही नहीं इस इलाके में रहने वाले हिंदू और मुसलमानों के बीच दूरियां भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। बीएसएफ के मुताबिक इस क्षेत्र में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच किसी तरह के विवाद का इतिहास नहीं रहा है। अभी तक दोनों समुदायों के लोगों के बीच दोस्ताना संबंध रहे हैं और वे अपना काम-धंधा भी मिलकर करते हैं। लेकिन अब दोनों समुदायों के बीच के संबंध सीमित होते जा रहे हैं। 

बीएसएफ की स्टडी में चौंकाने वाला एक और तथ्य सामने आया है कि यहां के मुस्लिमों के खानपान से लेकर रहन सहन और पहनावे तक में राजस्थानी कल्चर गायब हो चुका है। 

इसकी बजाए वह सब अरबी संस्कृति से ज्यादा नजदीक होते जा रहे हैं।
 
बीएसएफ ने अपनी इस स्टडी में पाया कि मुस्लिम समुदाय में हो रहे बदलाव के प्रतिक्रिया के रुप में मोहनगढ़, नचना और पोखरण में रहने वाले हिंदू अब अपने धर्म को लेकर और ज्यादा चिंतित हो गए हैं। ऐसे में यहां धार्मिक संगठनों में लोगों की हिस्सेदारी दिनोंदिन बढ़ रही है। यह सभी संगठन  ट्रेनिंग से लेकर शिक्षा तक में लोगों की मदद कर रहे हैं।  

सीमावर्ती इलाकों के बारे में बीएसएफ इस तरह की रिपोर्ट हमेशा तैयार करती है। इन्हें दूसरी एजेन्सियों के साथ भी शेयर किया जाता है। जैसलमेर में बीएसफ ने मोहनगढ़,  नचना, बहला,  पोखरण,  साम,  तनोट जैसे इलाकों का सर्वे किया और रिपोर्ट तैयार की।

लेकिन इस बार की इस रिपोर्ट में यह सनसनीखेज निष्कर्ष सामने आया है। जो देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।