देहरादून। रजिया सुल्ताना संस्कृत से एमए हैं। उनके अब्बा मोहम्मद सुलेमान देवबंद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और कुरान शरीफ का हिंदी अनुवाद किया। वह चाहते थे कि उनकी बेटी कुरान शरीफ का संस्कृत में अनुवाद करे। शुरुआती दिनों में रजिया ने जब संस्कृत की पढ़ाई शुरु की तो लोग कहते थे कि संस्कृत पढ़कर पंडिताई करेगी, पर उन्होंने अपनी अलग राह चुनी थी। टीचर बनना चाहती थीं। अब उन्हें उत्तराखंड राज्य में वक्फ बोर्ड की शिक्षा समिति में सदस्य बनाने की तैयारी है। 

यूपी के सहारनपुर में प्रधानाध्यापिका हैं रजिया सुल्ताना

रजिया सुल्ताना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के प्राथमिक विद्यालय सहाबुद्दीनपुर में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। जब लोग उन्हें ताने मारते थे, तब अब्बा ने हौसला बढ़ाया।संस्कृति से एमए हैं। अब, पीएचडी कर रही हैं। जैसे-जैसे वह पढ़कर आगे बढ़ती रहीं। वैसे-वैसे लोगों को भी यह समझ में आने लगा कि रजिया संस्कृत पढ़कर अपना भविष्य निखार रही हैं। संस्कृत से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद रजिया ने कुरान शरीफ को संस्कृत में ट्रांसलेट किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्हें उत्तराखंड के मदरसों में शिक्षा की बेहतरी के लिए बनने वाली शिक्षा समिति का मेम्बर बनाया जाएगा।

इन्होंने भी संस्कृत से की है पीएचडी

कुमाऊं यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शालिमा तबस्सुम का कहना है कि संस्कृत एक भाषा है। इसे अन्य किसी चीज से जोड़ना ठीक नहीं होगा। उनका यह भी कहना है कि परिवार ने शुरुआती दिनों में ही उन्हें पढ़ाई के सब्जेक्ट के सेलेक्शन में छूट दी थी। मंगलौर की रहने वाली तबस्सुम का शुरु से ही संस्कृत भाषा में इंटरेस्ट था। इसी वजह से उन्हें संस्कृत की पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं हुई। 

अपर सचिव कहकशा नसीम की अध्यक्षता में गठित होगी समिति

उन्होंने साल 1992 में संस्कृत से एमए करने के बाद साल 1998 में संस्कृत से ही पीएचडी की। वह भाषा को लेकर बात करने वालों के लिए कहती हैं कि कुछ लोग दकियानूसी ख्यालात के होते हैं। ऐसे दकियानूसी ख्यालों के लिए यहां कोई जगह नहीं है। बहरहाल, रजिया सुल्ताना वक्फ बोर्ड की शिक्षा समिति की सदस्य बनने वाली हैं। यह समिति उत्तराखंड की अपर सचिव कहकशा नसीम की अगुवाई में गठित होगी। समिति के सुझाव लागू किए जाएंगे ताकि मदरसों में शिक्षा का स्तर बेहतर हो।