केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में बुधवार से पांच दिन की मासिक पूजा की शुरुआत होने वाली है। श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर मंदिर के रास्ते पर चल पड़े हैं। लेकिन इस बार की पूजा शांतिपूर्ण नहीं रहेगी। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 400 साल पुरानी परंपरा को खारिज करते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी है।
सबरीमाला मंदिर में युवा महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर आज त्रावणकोर देवोसम बोर्ड के मुख्य पुरोहित परिवार, पंडलाम राजपरिवार और अयप्पा सेवा संघम जैसे कई संगठनों ने अलग अलग बैठक बुलाई और इस मामले पर विचार किया।
सोमवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मंदिर के पुजारी परिवार को बैठक के लिए बुलाया था। लेकिन कोई समाधान निकल नहीं पाया।
Kerala: Pilgrims begin arriving in Pampa as #SabarimalaTemple is set to open tomorrow. pic.twitter.com/b3gfVi2aRB
— ANI (@ANI) October 16, 2018
केरल सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को चुनौती देने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका नहीं डालेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है मंदिर मुद्दे पर किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। केरल सरकार मंदिर में प्रवेश की इच्छुक महिलाओं की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करेगी।
We will not allow any one take law & order in their hands. The government will ensure facilities to devotees to go to #SabarimalaTemple and offer prayers. Government will not submit a review petition. We've said in court that we'll implement the order: Kerala CM Pinarayi Vijayan pic.twitter.com/TgyZnc0xOO
— ANI (@ANI) October 16, 2018
लेकिन केरल सरकार के इस फैसले के विरोध में बीजेपी और शिवसेना उतर आई हैं। वह चाहती हैं, कि केरल सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट मे समीक्षा याचिका डाले। बीजेपी ने इस मांग को लेकर केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में सोमवार को बड़ा मार्च भी निकाला था।
इसके अलावा लगभग 30 धार्मिक संगठनों ने सबरीमाला मंदिर के पास डेरा जमा लिया है। यह लोग मंदिर में युवा महिलाओं के प्रवेश का शांतिपूर्ण विरोध करेंगे। खुद महिलाएं सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रही हैं। तिरुअनंतपुरम में तो एक महिला ने अदालत के फैसले के विरोध में जान भी देने की कोशिश की।
Kerala: A woman attempted to hang herself from a tree in Thiruvananthapuram in protest against the Supreme Court's verdict over the entry of women of all age group in #SabarimalaTemple. She was saved by locals and the police. pic.twitter.com/HAth1nj0eB
— ANI (@ANI) October 16, 2018
किस वजह से छिड़ा है बवाल
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की लड़ाई लड़ने वाली तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश का ऐलान किया है। जिसके विरोध में उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है। तृप्ति ने इसके विरोध में एफआईआर भी दर्ज कराई है।
अदालत का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत पांच जजों की बेंच ने 4-1 की बहुमत से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश देने का फैसला दिया। अदालत की पीठ ने कहा कि किसी को लिंग के आधार पर पूजा करने से नहीं रोका जा सकता। इसलिए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को पूजा की इजाजत दी होनी चाहिए।
लेकिन पांच जजों की बेंच में शामिल अकेली महिला जज इंदु मल्होत्रा की राय इस फैसले पर अलग थी। उन्होंने मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के फैसले पर ऐतराज जताया।
जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने कहा कि ऐसे मामले में जिनसे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है उन्हें देश में सेकुलर माहौल की परत से नहीं मढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराई का मामला नहीं है जिसमें कोर्ट के दखल देने की जरुरत है।
क्या रही है परंपरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले तक यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थीं। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। इसलिए मंदिर में मासिक धर्म के आयु वर्ग में आने वाली स्त्रियों का जाना प्रतिबंधित है। 10 से 50 उम्र तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की यह मान्यता यहां 1500 साल पुरानी है।
किसका है मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है। इनका एक नाम हरिहरपुत्र भी है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव, इन्हीं दोनों भगवानों के नाम पर हरिहरपुत्र नाम पड़ा। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है।
कब खुलता है सबरीमाला मंदिर
सबरीमाला मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए नहीं खुलता। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह हर महीने के पहले पांच दिन खुलता है। इसके अलावा यह नवंबर मध्य से जनवरी मध्य के बीच वार्षिक उत्सव मंडलम और मकाराविलक्कु के दौरान भी खुलता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास माना जाता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज्यादा भक्त पहुंचते हैं।
Last Updated Oct 16, 2018, 6:41 PM IST