रांची। झारखंड में नवनिर्वाचित हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। एक तरफ राज्य में सात लोगों की हत्या से राज्य सरकार कठघरे में हैं वहीं राज्य सरकार को समर्थन दे रही झारखंड विकास मोर्चा यानी जेवीएम ने भी सोरेन सरकार से समर्थन ले लिया है। जो राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि समर्थन लेने से हेमंत सोरेन सरकार को खतरा नहीं है।

विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को सत्ता से हटाने वाली हेमंत सोरेन सरकार से झारखंड विकास मोर्चा ने समर्थन वापस ले लिया है। जिसके कारण राज्य में होने वाले कैबिनेट विस्तार टाल दिया गया है। जेवीएम के अध्यक्ष ने आज मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी। राज्य में जेवीएम के तीन विधायक हैं। हालांकि इस बीच राज्य में चर्चा गर्म है कि जेवीएम का भाजपा में विलय हो सकता है और राज्य की कमान बाबूलाल मरांडी को दी जा सकती है।

क्योंकि भाजपा राज्य में गैर आदिवासी का प्रयोग कर चुकी है। लेकिन आदिवासी बहुल राज्य होने के कारण भाजपा को अच्छी तरह से मालूम है कि राज्य में आदिवासी चेहरे पर ही वह राज्य की सत्ता पर फिर से काबिज हो सकती हैं। वहीं बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। हालांकि दो दिन पहले जेवीएम के दो विधायक दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिल चुके हैं। जिसके बाद ये तय हो गया था कि जेवीए में टूट हो सकती है। जेवीएम ने कहा कि कांग्रेस उनके दो विधायकों को अपने पाले में लेने की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि जेवीएम के विधायक बंधु टिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

फिलहाल जेवीएम के भाजपा में विलय की चर्चा चल रही है, जिसको लेकर पार्टी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और दोनों विधायक के बीच मनमुटाव चल रहा है। वहीं राज्य में कांग्रेस और जेवीएम के बीच चल रहे विवाद और राज्य सरकार से जेवीएम के समर्थन लेने के कारण राज्य सरकार ने कैबिनेट विस्तार टाल दिया है। हालांकि ये भी चर्चा है कि जेवीएम भी सरकार में शामिल होना चाहती थी। लिहाजा दबाव बनाने के लिए उनसे सोरेन सरकार पर दबाव बनाया है।