नई दिल्ली। आज देश के आजादी के नायक सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। वो भारत माता के वो सपूत थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति। हालांकि अंग्रेजों के कब्जे से देश 1947 को आजाद हुआ लेकिन इससे पहले 1943 को ही आजाद हिंद सरकार को विश्व के कई देशों ने अस्थायी तौर पर मान्यता दे दी थी। आजाद हिंद फौज में 85000 सैनिक है। जिसके बल पर सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी का सपना देखा था। राष्ट्रपति महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा करते थे।

भारतीय आजादी के नायकों में शुमार सुभाष चंद्र बोस ने  21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज का गठन किया था और वह इस फौज के सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किए गए थे। इस दिन उन्होंने अस्थायी सरकार बनाई थी। इस सरकार को दुनिया के कई देशों ने मान्यता दी थी। जिसमें जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड थे।

इस सेना ने आज के मयांमार और उस वक्त के बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी। आजाद हिंद फौज में उस वक्त करीब 85 हजार से ज्यादा सैनिक थे और इसमें एक महिला विंग भी थी, जिसकी कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन थी। आजाद हिंद फौज ने बर्मा और मलाया में भारतीयों को इस सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और इस सेना ने अंग्रेजो से लोहा लिया।

जेल जाने के बाद किया फौज का गठन
सुभाष चंद्र बोस मानते थे  कि देश आजादी सिर्फ अहिंसा ने नहीं हासिल की जा सकती है। लिहाजा उन्होंने कांग्रेस के भीतर ही कट्टरपंथी विंग का नेता माना जाता था। कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने गांधी नेहरू से मतभेद के बाद पार्टी को त्याग दिया था। सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी के लिए 11 बार जेल भी गए और इसके बाद उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द फौज का गठन किया गया था। सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी के लिए नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इस नारे ने भारतीय युवाओं में जोश भर दिया और हजारों की तादात में युवा आजाद हिंद फौज के सिपाही बन गए।

कौन थे नेता जी सुभाष चंद्र बोस

भारत की आजादी के नायक और आजाद हिंद सरकार के सर्वोच्त नेता सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। वह पढ़ने में बहुत तेज थे। लेकिन उनका मन देश की आजादी के लिए था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1918 में प्रथम श्रेणी स्कोर के साथ दर्शनशास्त्र में बीए पूरा और 1920 की आईसीएस परीक्षा पास की। क्योंकि ये उनके पिता की इच्छा थी। लेकिन अंग्रेजो की नौकरी में उनका मन नहीं लगा और उन्होंने 22 अप्रैल 1921 को नौकरी छोड़ दी। 

ऐसे बनी आजाद हिंद फौज

देश की पूर्ण आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी के चांसलर हिटलर से मुलाकात की और इसके बाद वह जापान गए। जहां पर आजाद हिंद फौज का स्थापन रास बिहारी बोस कर चुके थे। लेकिन इसका गठन किया जाना था। आजाद हिंद फौज के लोगों 1944 को 19 मार्च के दिन पहली बार झंडा फहराया था।