अंतरिम बजट पेश करने के खिलाफ दायर की गई याचिका में दावा किया गया था कि सरकार केवल पूर्ण बजट ही पेश कर सकती है। चुनावी साल के दौरान केवल वोट-ऑन अकाउंट का प्रावधान है। इसके जरिए सरकार सीमित समय के लिए खर्च की अनुमति हासिल कर सकती है। 

याचिका में कहा गया था कि चुनाव के बाद नई सरकार ही पूर्ण बजट पेश कर सकती है। मोदी सरकार ने अंतरिम बजट को पेश करके असंवैधानिक काम किया है। इस लेखानुदान यानि अंतरिम बजट के जरिये सरकार सिर्फ एक निश्चित समय तक के लिए खर्च की इजाजत हासिल कर सकती है। 

याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने अंतरिम बजट में मोदी सरकार द्वारा की गई घोषणाओं को संविधान के साथ धोखा करार दिया और कहा कि इस बजट पर भारत के राष्ट्रपति का हस्ताक्षर लिया जाना उनके साथ भी धोखा करना है। 

अपनी याचिका में एम एल शर्मा ने कहा कि चुनावी साल में कुछ समय के लिए सरकारी खर्च को मंजूरी देने की ही परंपरा रही है और बाद में चुनी हुई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है। 

ज्ञात हो कि वकील और याचिकाकर्ता एम एल शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट एक अन्य मामले में पिछले साल दिसंबर में 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा चुका है। शर्मा ने रिज़र्व बैंक के कैपिटल रिज़र्व को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाए थे।