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(Search results - 6)NewsJun 6, 2019, 5:26 PM IST
तिरुपति जाकर पीएम मोदी ईश्वर की आराधना के साथ दक्षिण की जनता को भी लुभाएंगे
दो दिन बाद यानी 9 जून के पीएम नरेन्द्र मोदी दक्षिण भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थल तिरुपति की यात्रा कर रहे हैं। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ ईश्वर की आराधना ही नहीं बल्कि दक्षिण की जनता के बीच बीजेपी को स्थान दिलाना भी है। क्योंकि बीजेपी अब दक्षिण में कर्नाटक से आगे पूरे विंध्य क्षेत्र में खुद को मजबूत बनाने की कवायद में जुटी है।
NewsJun 4, 2019, 6:17 PM IST
क्या कर्नाटक में गिरने वाली है जेडीएस-कांग्रेस सरकार, देखिए 6 अहम संकेत
कर्नाटक में मामूली बहुमत से सत्ता पर काबिज एच डी कुमारस्वामी की सरकार पर भारी खतरा मंडरा रहा है। ताजा घटनाक्रमों पर गौर करने पर लगता है कि यहां जेडीएस कांग्रेस सरकार कभी भी गिर सकती है। आईए आपको दिखाते हैं इस बात के छह अहम सबूत कि कैसे कर्नाटक सरकार की उलटी गिनती शुरु हो गई है।
ViewsMay 29, 2019, 3:50 PM IST
जीत के बाद पीएम मोदी के भाषणों में दिखा ‘सर्वजन हिताय’ का लक्ष्य
पीएम मोदी सत्ताधारी भाजपा एवं राजग के नेता तथा देश के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए उनके एक-एक शब्द मायने रखते हैं। उनकी बातें पार्टी के साथ उनके करोड़ों समर्थकों के लिए तो व्यवहार सूत्र की तरह हैं ही, विरोधियों के लिए अपनी सोच और व्यवहार में परिवर्तन के लिए विचार की अभिप्रेरणा देने वाला है। उदाहरण के लिए पार्टी मुख्यालय से देश और दुनिया को संबोधित करते हए उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मुझे जो कुछ कहा गया वो सब मैं भूल गया, चुनाव में विजय बहुमत से मिलता है लेकिन सरकार सर्वमत से चलती है।
NewsMay 24, 2019, 3:58 PM IST
‘बुआ’ ने ऐसे कर लिया ‘बबुआ’ का इस्तेमाल, देखिए 5 बड़े सबूत
उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों ने दिखा दिया है कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने किस तरह अनुभवहीन सपा अध्यक्ष अखिलेश य़ादव का इस्तेमाल कर लिया। यूपी के चुनाव परिणाम से साफ पता चलता है कि मायावती से गठबंधन करके सपा को तो कोई लाभ नहीं हुआ। लेकिन सपा समर्थक वोटों की कीमत पर मायावती ने अपनी सीटें बढ़ाकर 10 कर लीं। जबकि सपा की सीटें 2014 की ही तरह 5 ही रह गईं। यही नहीं समाजवादी पार्टी को 2014 की तुलना में लगभग 5 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ।
NewsMay 23, 2019, 11:35 AM IST
नेहरू और इंदिरा हुए फेल, क्या मोदी के लिए खुलेगा इस क्लब का दरवाजा?
वैश्विक मामलों के जानकारों का दावा है कि इस संकेत से यह भी साफ है कि आजादी के बाद से अभी तक यह पहला मौका है जब भारत संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के इतने करीब है। वहीं अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के बीच भारत के लिए अब और आसान है कि वह इस मुद्दे पर चीन की सहमति लेने का दबाव बना सके।
NewsMay 23, 2019, 8:50 AM IST
चुनाव में जिसने मारी बाजी उसे करानी होगी मेक इन इंडिया से नौकरी की बारिश
लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भी तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार रोजगार की चुनौती के चलते सत्ता गंवाने में विवश हुई थी. वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल में भी विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। लिहाजा, एक बात स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था में लंबे समय से रोजगार की चुनौती है और इससे निपटने के लिए अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता।