आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो वाराणसी (काशी) की हृदय स्थली कहे जाने वाले गोदौलिया चौराहे पर 30 साल से अनवरत लोगों की निस्वार्थ सेवा में जुटे हैं। पहरूआ (चौकीदार या पहरेदार) बनकर धर्म और मोक्ष की नगरी में पूजन-दर्शन करने आए भूले-बिछड़े श्रद्धालुओं को उनके परिवार से मिलाते हैं।