रिजर्व बैंक तीन बार की मौद्रिक समीक्षा कर ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंकों ने महज 0.15 फीसदी का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया है। लिहाजा इस बारे में आरबीआई की चिंता बढ़ी हुई हैं। क्योंकि जिस मकसद से आरबीआई ने रेपो रेट में कमी की थी, वह पूरा नहीं हो रहा है।