भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन आ गया है। पूरे देश में हर जगह उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन ऐसा क्यों है कि हम भारतीय लीलाधर कृष्ण के बाल और प्रेमी स्वरुप को ज्यादा प्रधानता देते हैं और उनके जुझारु योद्धा के रुप को भुला चुके हैं। जबकि कृष्ण जी का पूरा जीवन राक्षसों और आततायियों से युद्ध करते हुए ही बीता था। भगवान वासुदेव 64 कलाओं में निपुण थे। एक तरफ वह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे तो दूसरी ओर द्वंद्व युद्ध यानी मार्शल आर्ट के भी निष्णात योद्धा थे।