असल में 1981 में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेस और मिसलेनियस एक्ट अस्तित्व में आया और उस वक्त विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। लेकिन इसके बाद राज्य में 19 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन किसी ने इस कानून को खत्म करने की कोशिश नहीं की। उस वक्त मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर को लेकर ये तर्क दिए गए थे कि राज्य सरकार को मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने चाहिए क्योंकि ज्यादातर मंत्री गरीब हैं और उनकी आय बेहद कम है।