असल में साल 1991 में कई लोग पाकिस्तान में हो रहे शोषण से बचने के लिए भाग कर भारत आ गए थे। इन्हें तब भारत सरकार ने नागरिकता नहीं दी थी। इसमें से एक वहां से आए रेवाराम एक मीडिया हाउस के बताया था कि वहां पर काफी अत्याचार हो रहा था और इसके कारण उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि वोट डालने के लिए उन्हें और उनके साथ आए लोगों को 18 साल का इंतज़ार करना पड़ा। लेकिन अब उन्हें खुशी मिली है कि उन्हें भी मताधिकार की ताकत मिली है।