अगर देखें अखिलेश यादव का अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल पूरी तरह से फ्लाप साबित हुआ है। उनके पास गिनाने के लिए उपलब्धियां कम हैं जबकि विफलताएं ज्यादा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ चुनाव गठजोड़ किया और पार्टी 225 विधायकों से घटकर 47 में पहुंच गई जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली। जबकि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सुभासपा को 4 सीटें मिली हैं।