भारतीय जनता पार्टी ने तीन हिंदी भाषी राज्यों में मिली हार के लिए जिम्मेदार नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में उतारने का फैसला किया है. ऐसा कर भाजपा ने एक तीर से दो निशान साधे हैं. पहला एक तो इन नेताओं को राज्य की राजनीति से दूर किया, वहीं राष्ट्रीय राजनीति में लाकर इन नेताओं की नाराजगी दूर की है.