धारा 377 समलैंगिक संबंधों को अपराध बनाती है। इसके लिए आजीवन कैद की सजा तक का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने 2013 के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें आईपीसी की धारा 377 को असंवैधानिक बताते हुए दो वयस्कों के बीच सहमति से बने अप्राकृतिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया था।