Khuswant Singh
(Search results - 1)NewsDec 17, 2018, 5:00 PM IST
खुशवंत सिंह ने अपने नावेल में लिखी थी सिख दंगों की आंखों देखी... मैं अपने ही देश में शरणार्थी था क्योंकि मैं सिख था
असल में 5 जून 1984 को भारतीय सेना स्वर्ण मंदिर में घुसी थी और सिंह ने इस सम्मानित अवार्ड को वापस कर दिया था। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि ‘एक गहरा अवसाद मेरी आत्मा में प्रवेश कर रहा था और मैं बार बार पूछता हूं कि क्या मैं सिख हूं। मैं निश्चित तौर से भिंडरवाला ब्रांड नहीं हूं और ना ही गुरूद्वारा भाई ब्रांड। मुझे ये याद नहीं कि मैं कब पिछली बार गुरुद्वारा गया।