असल में केन्द्रीय मंत्री रह चुके शकील अहमद मधुबनी से पार्टी का टिकट चाह रहे थे। लेकिन पार्टी ने उनकी दावेदारी को खारिज कर दिया क्योंकि गठबंधन के तहत यह सीट सहयोगी पार्टी के खाते में चली गयी थी। जिसके बाद उन्होंने महागठबंधन के प्रत्याशी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और नामांकन दाखिल कर दिया।