मध्यप्रदेश के छोटे से गांव की दुर्गा को पद्मश्री पुरस्कार मिला तो ख़ुशी के साथ लोग हैरत में पड़ गए। दुर्गा कभी स्कूल नहीं गयी थीं। उनका जीवन इतनी गरीबी में गुज़रा की वो घरों में चौका बर्तन करती थीं। दुर्गा को ट्राइबल आर्ट आता था जिसे दुर्गा ने अपनी ताकत बनाया और भोपाल के साथ साथ अलग शहरों में इसकी प्रदर्शनी में हिस्सा लिया। इसी आर्ट ने दुर्गा को पद्मश्री तक पहुंचाया।