ज्ञानेश तिवारी भी अन्य नौजवानों की तरह पढ़ाई के बाद रोजगार के साधन पर अपना ध्यान केंद्रिंत कर रहे थे। साल 2010 में मेरठ से बीएड करने के बाद गांव लौटे और 2014 में डेयरी खोली तो पहले उन्हें भी गोबर का निस्तारण एक समस्या की तरह लगा। उन्होंने गोबर के यूज पर ध्यान दिया तो समझ आया कि इसका प्रयोग करके भी कमाई की जा सकती है।