इन फैसलों पर राजनीतिक विरोध मोदी को पहले कार्यकाल में एक सश्क्त भारत के निर्माण की नींव रखने से नहीं रोक सकी। स्वाभाविक है कि अब जब दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें एक मजबूत मैनडेट मिला है तो वह सशक्त भारत की अपनी परिकल्पना को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।